हरिद्वार। जिलाधिकारी सी0 रविशंकर की अध्यक्षता में बुधवार को कलेक्ट्रेट सभागार में जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबन्धन संबंधी बैठक हुई। बैठक में जिलाधिकारी ने ऐसे अस्पतालों, जिन्होंने अभी तक जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबन्धन हेतु पंजीकरण नहीं कराया है, को 15 दिसम्बर तक पंजीकरण कराने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिये। अगर इसके उपरांत भी पंजीकरण नही कराते हैं, तो संबंधित के खिलाफ चिकित्सा विभाग एवं प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को नियमानुसार सख्त कार्यवाही करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि बाॅयोमेडिकल वेस्ट बहुत ज्यादा नुकसानदायक होता है, जिससे कई लोग पीड़ित होते हैं, उन्होंने जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबन्धन के अन्तर्गत गठित जिला स्तरीय माॅनीटरिंग समिति को आगामी कुंभ को दृष्टिगत रखते हुए क्या कार्ययोजना है, कुंभ के दौरान बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट कैसे किया जाएगा, की कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिये। उन्होंने प्रयोग मंे लाये गये मास्क के लिए अलग से कूडेदान रखने, किस प्रकार प्रयोग में लाये गये मास्क को कूडेदान से इकट्ठा किया जाना है, बाॅयोमेडिकल वेस्ट को कैसे निकालना है, इस संबंध में सफाई कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने के भी निर्देश दिये। उन्होने कहा कि कुंभ के दौरान वेस्ट बाॅयोमेडिकल निकालने हेतु रूट चार्ट बनाकर कार्य करना होगा। इसकी कार्ययोजना बनाने तथा किस प्रकार कार्ययोजना क्रियान्वित की जानी है, उसकी तैयारी कर लें। उन्हांेने अधिकारियों को बैठक में पूर्णं तैयारी के साथ आने के निर्देश् दिये। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी हरिद्वार श्री एस0के0 झा, एमडी मेडिकल प्रदूषण कंट्रोल कमेटी डाॅ0 विशाल सिंह, रीजनल आॅफिसर यूकेपीसीबी डाॅ0 राजेन्द्र सिंह, अवर अभियंता नगर पालिका परिषद मंगलौर श्री गुरूदयाल सिंह आदि उपस्थित थे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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