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मेला प्रशासन की व्यवस्थाओं में जूना अखाड़े की उपेक्षा से नाराज नागा सन्यासियों का धरना

 

हरिद्वार। कुंभ मेला 2021 में मेला प्रशासन की ओर से की जा रही व्यवस्थाओं में जूना अखाड़े की उपेक्षा से नाराज नागा सन्यासियो ने शनिवार को जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय सभापति श्री महंत प्रेम गिरी के नेतृत्व में मेला नियत्रण भवन के बाहर जोरदार प्रदर्शन कर धरना दिया। इस दौरान मेला प्रशासन की उपेक्षापूर्ण व्यवस्थाओं से नाराज संतो ने कुंभ मेला प्रशासन के खिलाफ जम कर नारेबाजी की। श्रीमहंत प्रेम गिरी महाराज ने नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि जूना अखाड़े का नगर प्रवेश २५ जनवरी को होना है, उनके साथ ही आवाहन अखाड़ा तथा अग्नि अखाड़ा भी नगर प्रवेश करेगा। तीनो अखाड़ों के पंच हरिद्वार के लिए रवाना हो चुके हैं। तीनों अखाड़ों के पंच पांडे वाला ज्वालापुर में पेशवाई निकलने तक रहेंगे,लेकिन अभी तक मेला प्रशासन ने पंचों के रुकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की है। उन्होंने कहा जूना अखाड़े की पेशवाई का साजो सामान जिसमे सोने चांदी के होदे,रथ,घोड़े, चांदी के छत्र, शस्त्र,ट्रेक्टर,ट्राली,आदि ललतारौ स्थित श्री दुःख हरण हनुमान मंदिर बिरला घाट में रखा जाता है। जिसके लिए वहां पर सुरक्षा के लिए पुलिस चैकी बनाई जाती है,बिजली,पानी, शौचालय,सफाई,टेंट आदि की व्यवस्था कुंभ मेला प्रशासन पूर्व के कुंभों में समय रहते करता आया है लेकिन इस बार अभी तक कोई भी काम शुरू नहीं हो पाया है। मेला प्रशासन के इस उपेक्षा पूर्ण रवैए से जूना अखाड़े सहित अन्य सभी अखाड़ों में भयंकर रोष व्याप्त है। उन्होंने कहा कुंभ मिला विश्व की धरोहर है पूरे विश्व को निगाहें इस पर टिकी रहती हैं, इसकी गरिमा,महत्व तथा गौरव को किसी भी कीमत पर समाप्त नहीं होने दिया जा सकता है। यदि सरकार व्यवस्था नहीं करती है तो सभी अखाड़े अपने स्तर पर मेला कराने में सक्षम हैं। श्री महंत प्रेम गिरी महाराज ने प्रशासन को दो दिन का अल्टीमेटम देते हुए चेतावनी दी कि अगर समय रहते काम नहीं हुआ तो नागा सन्यासी देहरादून कूच कर प्रदर्शन करेंगे। नागा साधुओं के उग्र तेवर देख कर प्रशासन के होश उड़ गए,मौके पर पहुंचे उप मेलाधिकारी दयानन्द सरस्वती, तुषार आदि ने सभी व्यवस्थाएं समय रहते पूरी करने के आश्वासन दिया। मेला प्रशासन के अधिकारियों के आवश्वासन के बाद नागा सन्यासियों का धरना खत्म किया गया। धरना देने वालों में अखाड़े के सचिव श्री महंत महेश पुरी,महंत लाल भारती, महादेवानंद, राजेंद्र गिरी,विवेक पुरी, रणधीर गिरी, आजाद गिरी,आदि प्रमुख थे।


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