हरिद्वार। पिछले डेढ़ दशक से गंगा की निर्मलता ओर अविरलता के लिए कार्य करने वाली सामाजिक संस्था मातृ सदन ने अब एक बार फिर अनशन की शुरू कर दिया हैं। इस बार यह अनशन किसी नई मांग को लेकर ना होकर मातृ सदन द्वारा पूर्व में लड़े जा रहे विचाराधीन मामलों को लेकर किया जा रहा है। जिसे मातृ सदन के शिष्य आत्मबोधानंद अनशन आज से शुरू किया है। मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि मातृ सदन के दर्जनों केस ऐसे हैं जिन पर अभी तक सुनवाई भी शुरू नहीं हुई है जिसके लिए मातृ सदन आज से अनशन शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि मातृ सदन हमेशा से ही अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ता रहा है जिसमें उसके कई संत शहीद भी हो गए हैं जिनमें स्वामी निगमानंद और स्वामी सानंद प्रमुख हैं जिनके वाद भी न्यायालय में विचाराधीन है जिस पर उनकी मांग है कि उनके सभी मामलों को संज्ञान में लेते हुए एसआईटी गठित की जाए जिसकी अध्यक्षता हाई कोर्ट के जज द्वारा की जाए। उनका कहना हैं कि जब तक उनकी मांग नही मानी जाती तब तक आज आत्मबोधानंद का अनशन लगातार जारी रहेगा। मातृ सदन के ब्रह्मचारी की ओर से प्रमुख मांगो में 2011 में स्वामी निगमानन्द जी की हत्या मामले की आगे जांच हेतु उत्तराखंड उच्च न्यायालय के एक वर्तमान न्यायाधीश के नेतृत्व में विशेष जांच दल का गठन हो, और तत्काल सीबीआई इस मामले में आगे कार्यवाही करे। 2018 में स्वामी सानंद जी की हत्या मामले की जांच हेतु उत्तराखंड उच्च न्यायालय के एक वर्तमान न्यायाधीश के नेतृत्व में विशेष जांच दल का गठन हो और तत्काल इस मामले के सत्य को सबके सामने लाया जाए। 2020 में साध्वी पद्मावती जी के साथ हुए घटनाक्रम की जांच हेतु एक महिला जांच अधिकारी के नेतृत्व में विशेष जांच दल का गठन हो और तत्काल इसमें कार्यवाही की जाए तथा जिला न्यायालय, हरिद्वार में मातृ सदन के जितने भी मुकदमें लंबित हैं, उनपर एक विशेष पैनल बनाकर तत्काल सुनवाई हो। गंगा को लेकर सरकार द्वारा मातृ सदन को जितने भी आश्वासन दिये गए हैं, जिनमें 9 अक्टूबर, 2018, 1 अक्टूबर, 2019, 2 सितम्बर, 2020 एवं 1 अप्रैल, 2021 को सरकार द्वारा दिये गए पत्र मुख्य हैं, उन्हें अक्षरशः जमीन पर लागू किया जाए। जल शक्ति राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया द्वारा राज्य सभा में 31 जुलाई, 2019 को मातृ सदन को दिये गए सारे आश्वासनों को प्रशासन तत्काल लागू करे। स्वामी शिवानन्द सरस्वती, परमाध्यक्ष मातृ सदन का कहना है कि धर्म नगरी कहे जाने वाले हरिद्वार में बीते कुछ वर्षों में राजनेताओं, पुलिस, प्रशासन और अब यहाँ तक कि जिला न्यायालय के कुछ जज एवं मैजिस्ट्रेट का जो गठजोड़ हो गया है, उसके लिए केंद्र सरकार तत्काल एक पैनल बनाकर इनके खिलाफ जांच बैठाये। श्री भगवान दास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ निरंजन मिश्रा की गिरफ्तारी ऐसे ही गठजोड़ का परिणाम है।
हरिद्वार। पिछले डेढ़ दशक से गंगा की निर्मलता ओर अविरलता के लिए कार्य करने वाली सामाजिक संस्था मातृ सदन ने अब एक बार फिर अनशन की शुरू कर दिया हैं। इस बार यह अनशन किसी नई मांग को लेकर ना होकर मातृ सदन द्वारा पूर्व में लड़े जा रहे विचाराधीन मामलों को लेकर किया जा रहा है। जिसे मातृ सदन के शिष्य आत्मबोधानंद अनशन आज से शुरू किया है। मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि मातृ सदन के दर्जनों केस ऐसे हैं जिन पर अभी तक सुनवाई भी शुरू नहीं हुई है जिसके लिए मातृ सदन आज से अनशन शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि मातृ सदन हमेशा से ही अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ता रहा है जिसमें उसके कई संत शहीद भी हो गए हैं जिनमें स्वामी निगमानंद और स्वामी सानंद प्रमुख हैं जिनके वाद भी न्यायालय में विचाराधीन है जिस पर उनकी मांग है कि उनके सभी मामलों को संज्ञान में लेते हुए एसआईटी गठित की जाए जिसकी अध्यक्षता हाई कोर्ट के जज द्वारा की जाए। उनका कहना हैं कि जब तक उनकी मांग नही मानी जाती तब तक आज आत्मबोधानंद का अनशन लगातार जारी रहेगा। मातृ सदन के ब्रह्मचारी की ओर से प्रमुख मांगो में 2011 में स्वामी निगमानन्द जी की हत्या मामले की आगे जांच हेतु उत्तराखंड उच्च न्यायालय के एक वर्तमान न्यायाधीश के नेतृत्व में विशेष जांच दल का गठन हो, और तत्काल सीबीआई इस मामले में आगे कार्यवाही करे। 2018 में स्वामी सानंद जी की हत्या मामले की जांच हेतु उत्तराखंड उच्च न्यायालय के एक वर्तमान न्यायाधीश के नेतृत्व में विशेष जांच दल का गठन हो और तत्काल इस मामले के सत्य को सबके सामने लाया जाए। 2020 में साध्वी पद्मावती जी के साथ हुए घटनाक्रम की जांच हेतु एक महिला जांच अधिकारी के नेतृत्व में विशेष जांच दल का गठन हो और तत्काल इसमें कार्यवाही की जाए तथा जिला न्यायालय, हरिद्वार में मातृ सदन के जितने भी मुकदमें लंबित हैं, उनपर एक विशेष पैनल बनाकर तत्काल सुनवाई हो। गंगा को लेकर सरकार द्वारा मातृ सदन को जितने भी आश्वासन दिये गए हैं, जिनमें 9 अक्टूबर, 2018, 1 अक्टूबर, 2019, 2 सितम्बर, 2020 एवं 1 अप्रैल, 2021 को सरकार द्वारा दिये गए पत्र मुख्य हैं, उन्हें अक्षरशः जमीन पर लागू किया जाए। जल शक्ति राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया द्वारा राज्य सभा में 31 जुलाई, 2019 को मातृ सदन को दिये गए सारे आश्वासनों को प्रशासन तत्काल लागू करे। स्वामी शिवानन्द सरस्वती, परमाध्यक्ष मातृ सदन का कहना है कि धर्म नगरी कहे जाने वाले हरिद्वार में बीते कुछ वर्षों में राजनेताओं, पुलिस, प्रशासन और अब यहाँ तक कि जिला न्यायालय के कुछ जज एवं मैजिस्ट्रेट का जो गठजोड़ हो गया है, उसके लिए केंद्र सरकार तत्काल एक पैनल बनाकर इनके खिलाफ जांच बैठाये। श्री भगवान दास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ निरंजन मिश्रा की गिरफ्तारी ऐसे ही गठजोड़ का परिणाम है।
Comments
Post a Comment