हरिद्वार। इस साल शांतिकुंज अपने स्थापना का पचासवाँ वर्ष मना रहा है। स्वर्ण जयंती वर्ष में गायत्री परिवार विभिन्न रचनात्मक कार्यक्रम, वृहत स्तर पर पौधारोपण आदि अभियान चला रहा है। कार्यक्रमों को गति देने एवं रूपरेखा तैयार करने के उद्देश्य से शांतिकुंज से तीस टोलियां रवाना कर दी गई हैं। केन्द्रीय जोनल समन्वयक डॉ ओ.पी. शर्मा के नेतृत्व में शांतिकुंज द्वारा निर्धारित सभी केन्द्रीय तेरह जोनों के समन्वयकों की शुक्रवार को समीक्षा गोष्ठी हुई। केन्द्रीय जोनल समन्वयक डॉ ओ.पी. शर्मा ने बताया कि शांतिकुंज स्वर्ण जयंती वर्ष के अंतर्गत विभिन्न रचनात्मक कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। इनमें जनसंपर्क अभियान, देवस्थापना, सामूहिक संस्कार, सामूहिक स्वच्छता अभियान, नशा निवारण, नारी जागरण, युवा जागरण, आओ गढ़ें संस्कारवान पीढ़ी आदि प्रमुख कार्यक्रमों में शामिल हैं। डॉ. शर्मा ने बताया कि कोविड-१९ से उपजी परिस्थिति के कारण कार्यक्रमों का स्तर छोटा किन्तु सामूहिक होगा। संख्या अधिक होने पर एक से अधिक बार भी सम्पन्न किया जा सकेगा। डॉ. शर्मा ने बताया कि कृष्ण जन्माष्टमी (३० अगस्त) के अवसर पर देश भर में १०८ स्थलों पर सामूहिक वृक्षारोपण महायज्ञ का आयोजन होगा। साथ ही विभिन्न राज्यों के पचास स्थानों में शांतिकुंज स्वर्ण जयंती वनों की स्थापना की जायेगी। इसका शुभारंभ एक साथ एक समय में अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या, केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री अश्विनी कुमार दुबे, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या एवं व्यवस्थापक महेन्द्र शर्मा संयुक्त रूप से करेंगे। उन्होंने बताया कि १००८ घरों में माता भगवती की बाड़ी तथा श्रीराम स्मृति उपवन स्थापना के अंतर्गत तरु मिलन, तरु पूजन का आयोजन निर्धारित किया गया है।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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