हरिद्वार। संस्कृत अकादमी की मुक्ति योजना का विरोध करते हुए पंचायती धड़ा फिराहेडियांन के अध्यक्ष उमाशंकर वशिष्ठ ने प्रैस को जारी बयान में कहा कि तीर्थ पुरोहितों के अधिकार क्षेत्र में अनावश्यक हस्तक्षेप सहन नही किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अस्थि प्रवाह कराने का अधिकार केवल पुरोहितों का है। सदियों से पुरोहित ही अस्थि प्रवाह व अन्य कर्मकांड संपन्न कराते आ रहे हैं। देश दुनिया से लोग अस्थि प्रवाह व अन्य कर्मकाण्ड कराने के लिए हरिद्वार आते हैं। पुरोहित समाज द्वारा अस्थि प्रवाह आदि कर्मकाण्ड संपन्न कराने के साथ अपने यजमानों का स्वागत सत्कार व सभी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। हरिद्वार के पुरोहित समाज की बहियों में यजमानों की पूरी वंशवाली दर्ज है। वंशावली के अनुसार यजमान अपने पुरोहितों से संपर्क कर अस्थि प्रवाह व अन्य धार्मिक संपन्न कराते हैं। सदियों से यह परंपरा चली आ रही है। लेकिन संस्कृत अकादमी मुक्ति योजना के जरिए पुरोहितों के अधिकारों व परंपरा पर कुठाराघात करना चाहती है। उन्होंने कहा कि पुरोहितों के अधिकार पर कुठाराघात कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पुरोहित समाज एकजुट होकर संस्कृत अकादमी की योजना का प्रत्येक स्तर पर विरोध करेगा। पंचायती धड़ा फिराहेडियांन के महामंत्री सचिन कौशिक ने कहा कि सदियों से तीर्थ पुरोहित यजमान की इच्छित दक्षिणा पर समस्त कर्मकांड सम्पन्न कराते चले आ रहे है। लेकिन संस्कृत अकादमी 100 डॉलर लेकर धार्मिक रीति रिवाजों का भी व्यवसायीकरण करने का प्रयास कर रही है। संस्कृत अकादमी के प्रयासों को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि संस्कृत अकादमी को धार्मिक क्रियाकलापों में हस्तक्षेप करने के बजाए संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार व उत्थान पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जल्द ही पुरोहित समाज की बैठक का आयोजन कर आंदोलन की रणनीति तय की जाएगीं पंचायती धड़ा फिराहेडियांन के कार्यकारिणी सदस्य अनिल कौशिक ने अपने बयान में कहा कि यदि मुक्ति योजना को लागू करने का प्रयास किया गया तो तीर्थ पुरोहित समाज पूरे देश में आंदोलन करेगा।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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