हरिद्वार। सनातन धर्म पर्वों का गुलदस्ता है और जो मनुष्य धर्म के सापेक्ष आचरण करते हैं, उनका पूरा जीवन ही उत्सव बन जाता है। उक्त उद्गार हैं गीता मनीषी वयोवृद्ध महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज के जिन्होंने विष्णु गार्डन स्थित श्रीगीता विज्ञान आश्रम में पांच दिवसीय पर्व दीपावली के उपलक्ष में आयोजित महालक्ष्मी पूजन में पधारे श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। दीपावली को स्वच्छता, समृद्धि और सामाजिक समरसता का पर्व बताते हुए उन्होंने कहा कि सनातन धर्म और संस्कृति की परंपराएं महान हैं। जो हमारे ऋषि-मुनियों ने मौसम का परिवर्तन और समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप मानव जीवन में उत्कृष्टता लाने के उद्देश्य से बनाई हैं। धनतेरस से भैया दूज 5 दिनों तक चलने वाले महापर्व अनुष्ठान की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था व्यक्ति के सामाजिक जीवन की धुरी है और दीपावली पर्व की संपूर्ण संरचना व्यक्ति के आर्थिक जीवन में समृद्धि का सूत्रपात करती है। महालक्ष्मी अनुष्ठान को संपूर्ण मानवता के लिए कल्याणकारी बताते हुए उन्होंने कहा कि अनुष्ठान की एकाग्रता व्यक्ति को मानसिक शांति प्रदान कर परोपकार की भावना जागृत करती है और व्यक्ति सहजीवन से समृद्धि की ओर अग्रसर होने लगता है। समस्त देशवासियों के सुख एवं समृद्धिशाली जीवन की कामना करते हुए उन्होंने कहा कि धार्मिक अनुष्ठान से दैवीय शक्तियां ऊर्धगामी हो जाती हैं। जिससे साधकों का कल्याण होता है। इस अवसर पर बाहर से आए श्रद्धालुओं के अतिरिक्त बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक भी उपस्थित थे।
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