हरिद्वार। श्री साधु गरीबदासी महा परिषद के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी परमात्म देव महाराज ने कहा है कि संत परंपरा सनातन संस्कृति की वाहक है। जो पूरे विश्व में भारत को महान बनाती है। ब्रह्मलीन महंत सच्चिदानंद महाराज एक महान संत थे। जिन्होंने जीवन पर्यंत समाज की सेवा करते हुए धर्म एवं संस्कृति के संरक्षण संवर्धन में अपना योगदान प्रदान किया। भूपतवाला स्थित श्री विशुद्धानंद धर्मार्थ समिति ट्रस्ट सेवा आश्रम में आयोजित ब्रह्मलीन स्वामी सच्चिदानंद महाराज के श्रद्धांजलि समारोह एवं पट्टा अभिषेक कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी परमात्म देव महाराज ने कहा कि महापुरुष केवल शरीर त्यागते हैं। उनकी शिक्षाएं सदैव समाज का मार्गदर्शन करती रहती हैं। ब्रह्मलीन स्वामी सच्चिदानंद महाराज के कृपा पात्र शिष्य महंत रामानंद महाराज एक विद्वान संत है। जो उन्हीं के आदर्शो को अपनाकर संत समाज का सहयोग करेंगे। इस अवसर पर सभी 13 अखाड़ो के संत महापुरुषों के सानिध्य में ब्रह्मलीन महंत सच्चिदानंद महाराज के उत्तराधिकारी के रूप में महंत रामानंद महाराज का पट्टा अभिषेक किया गया। समस्त संत समाज एवं गरीबदासी साधु महापरिषद द्वारा उन्हें तिलक चादर प्रदान कर आश्रम का उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया। युवा भारत साधु समाज के महामंत्री स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि योग्य गुरु को ही सुयोग्य शिष्य की प्राप्ति होती है। ब्रह्मलीन महंत सच्चिदानंद महाराज एक तपस्वी संत थे। हमें आशा है कि उनके नवनियुक्त उत्तराधिकारी महंत रामानंद महाराज धर्म और संस्कृति के उत्थान में अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करेंगे और अपने गुरु के अधूरे कार्यों को पूर्ण करेंगे। पूर्व पालिकाध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी एवं महंत देवानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है और महापुरुष अपने भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर सदैव उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। समस्त संत समाज महंत रामानंद महाराज के प्रति आशा करते है कि वे निरंतर बढ़ोतरी करते हुए राष्ट्र निर्माण में सहयोग प्रदान करते हुए भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म का पूरे विश्व में प्रचार प्रसार करेंगे। श्री विशुद्धानंद आश्रम के नवनियुक्त महंत रामानंद महाराज ने कहा कि जो दायित्व संत समाज द्वारा मुझे सौंपा गया है। उसका मैं पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन करुंगा और पूज्य गुरुदेव के द्वारा दी गई शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए उनके अधूरे कार्य को पूरा करूंगा। उसी निष्ठा भाव के साथ वे अपना जीवन व्यतीत करेंगे। इस दौरान स्वामी हरिहरानंद, स्वामी ज्ञानानंद शास्त्री, बाबा हठयोगी, महंत श्याम प्रकाश, स्वामी ऋषिश्वरानंद। महंत दिनेश दास, डा.पदम प्रकाश सूवेदी, महंत शिवानंद, महंत सूरजदास, स्वामी जगदीशानंद, स्वामी चिदविलासानंद, महंत शिवशंकर गिरी, महंत अरुण दास, महंत दिनेश दास, महंत सुतीक्ष्ण मुनि, महंत कृष्ण देव, महंत गंगा दास उदासीन, महंत दुर्गादास, महंत विष्णु दास, महंत रघुवीर दास, महंत प्रहलाद दास, पार्षद अनिरुद्ध भाटी सहित बड़ी संख्या में संत महंत उपस्थित रहे।
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