हरिद्वार। जल संस्थान अनुरक्षण इकाई (गंगा) के नियमित फील्ड कर्मचारियों ने सोमवार को कार्यालय में तालाबंदी कर धरना दिया। कर्मचारियों ने मांगें पूरी न होने पर प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी कर रोष जताया। बाद में अधिकारियों के आश्वासन पर धरना स्थगित कर दिया गया। सोमवार को जल निगम-जल संस्थान मजदूर यूनियन के बैनर तले नियमित फील्ड कर्मचारियों की लंबित समस्याओं का निराकरण न होने पर जगजीतपुर स्थित जल संस्थान अनुरक्षण शाखा (गंगा) के अधिशासी अभियंता कार्यालय प्रांगण में 14 वें दिन भी धरना दिया गया। अध्यक्ष अवनीश कुमार शर्मा ने कहा कि मृतक आश्रितों की नियुक्ति पर आदेश बहाल नहीं होने, शीतकालीन वर्दी की सुविधा नहीं मिलने पर कार्यालय की तालाबंदी की गई। रमेश दत्त शर्मा ने बताया कि मुख्य द्वार की तालाबंदी कार्यक्रम की सूचना पर अधिशासी अभियंता ने पहुंचकर सचिव प्रशासन से दूरभाष पर पदाधिकारियों की वार्ता कराई। सभी बिंदुओं पर जल्द निस्तारण करने का आश्वासन दिया गया है। जिसके बाद अनिश्चितकालीन धरने को स्थगित कर दिया गया है। इस दौरान पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष चैधरी नरेशपाल, संरक्षक स्वतंत्र पाल सिंह, रामधर बाबू कुशवाहा, रमेश दत्त शर्मा, बुद्धिराम शर्मा आदि शामिल रहे।
112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।
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