हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के वित्ताधिकारी प्रो. वीके सिंह का कहना है कि इस संसार में कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता। व्यक्ति को परमेश्वर ने जिस भी कार्यस्थल पर नियुक्त किया है। उसी को पूर्ण निष्ठा और भक्तिभाव के साथ संपन्न करने वाला मानव ही भगवान की पूजा कर रहा होता है। यह बात उन्होंने दैनिक यज्ञ के दौरान उत्तराखंड के विभिन्न शिक्षण संस्थानों से आए हुए एनएसएस के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि कार्यस्थल पर हमारी उन्नति में एक सेवक का भी उतना ही योगदान होता है। जितना कि हमारे उच्चाधिकारी का होता है। इस रहस्य को जो लोग समझ जाते हैं। वे आदर और सम्मान के पात्र बनते हुए सुख की प्राप्ति करते हैं। कहा कि जब वे जापान गए थे तो वहां के बुद्धिजीवियों को उनसे आशा बनी कि वे वैदिक कर्मकांड तथा संस्कृत के बारे में उनसे चर्चा करें। तब इस बात का ज्ञान हुआ कि जहां हम रहते हैं, उसके विषय में हमें पूर्ण जानकारी लेने के लिए सतत प्रयासरत रहना चाहिए। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रूपकिशोर शास्त्री ने दयानन्द सरस्वती के द्वारा विरचित सत्यार्थ प्रकाश के तीसरे समुल्लास की शिक्षा-पद्धति को व्यावहारिक धरातल पर आज के ही दिन गुरुकुल कांगडी के रूप में उतारने वाले स्वामी श्रद्धानन्द का भावात्मक स्मरण करते हुए उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की और सभी देशवासियों को आर्यों के तीर्थ स्थल से बधाई एवं शुभकामनाएं प्रदान की। कुलसचिव डॉ. सुनीलकुमार ने स्थापना दिवस पर बाहर से आए हुए सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। यज्ञ के व्यवस्थापक प्रो. सत्यदेव ने गुरुकुल के स्नातकों के कृतित्व पर प्रकाश डाला। यज्ञ के ब्रह्मा प्रो. मनुदेव बन्धु ने स्वामी श्रद्धानन्द के द्वारा स्थापित इस गुरुकुल को यज्ञ का रूप मानते हुए यहां के छात्रों को अग्नि का रूप बताया। जो विश्व के समस्त अज्ञान को दूर करने के लिये यहां से ज्योति को धारण करके निकलते हैं। यज्ञ की व्यवस्था आर्य समाज के मन्त्री रमेश शर्मा तथा कोषाध्यक्ष अमित कुमार धीमान ने की। कार्यक्रम में प्रो.औतार सिंह मीणा,डॉ. बबलू,डॉ. भगवानदास, डॉ‘ धर्मेंद्र, सत्यदेव,कपिल कुमार, संजय गुप्ता, राजकुमार, नारायण नेगी, विपिन, देवेन्द्र, अतुल, सचिन, मनीष, सुशील आदि उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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