हरिद्वार। हरिपुर स्थित एनडीए पब्लिक स्कूल में विश्व कल्याण के लिए आयोजित शतचंडी महायज्ञ सोमवार को संपन्न हो गया। एक सौ ग्यारह विद्वान ब्राह्मणों के सानिध्य में आयोजित शतचंडी महायज्ञ के समापन पर उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा कि प्राचीन ऋषि मुनियों द्वारा प्रदत्त यज्ञ अनुष्ठान का सनातन धर्म संस्कृति में विशेष महत्व है। यज्ञ से निकलने वाला धुंआ जहां जहां आवरण बनाता है। वहां नकारात्मकता को नष्ट कर सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है। यज्ञ के प्रभाव से अनेक व्याधियां भी दूर होती है। उन्होंने कहा कि नवरात्र में मां दुर्गा के सभी नौ स्वरूपों की आराधना के साथ प्रतिदिन हवन भी अवश्य करना चाहिए। नवरात्रों में मां के सभी स्वरूपों की आराधना करने से मां भगवती प्रसन्न होकर भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है। परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है। उन्होंने कहा कि सभी को नवरात्रों में भगवती की आराधना अवश्य करनी चाहिए। महंत रघुवीर दास एवं महंत विष्णु दास महाराज ने कहा कि नवरात्रों में मां भगवती भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती है। नवरात्रों में की गई मां भगवती की आराधना कभी निष्फल नहीं जाती और भक्त को विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है। सूक्ष्म आराधना से ही प्रसन्न होने वाली मां भगती अपनी शरण में आने वाले प्रत्येक भक्त का उद्धार अवश्य करती है। नवरात्रों में जो साधक नियमानुसार मां के सभी नौ स्वरूपों की आराधना करते हैं। उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है। महंत राजेंद्रदास ने कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरूषों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर महंत ईश्वरदास,महंत दुर्गादास,महंत सूरजदास,महंत प्रहलाद दास, स्वामी ऋषि रामकृष्ण,महंत अरूण दास, महंत प्रेमदास,स्वामी चिदविलासानंद,महंत गोविंद दास, महंत बिहारी शरण आदि संत व बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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