हरिद्वार। विश्व विख्यात कथाव्यास भागवत भूषण दीन दयालु जी महाराज का 91 वर्ष की आयु में आज प्रातः चार बजे पंचकुला में निधन हो गया। उनके पार्थिव शरीर को उनके भक्तजन आज दोपहर हरिद्वार लेकर पहुंचे। मुखिया गली, भूपतवाला हरिद्वार स्थित उनके आश्रम श्री ललित आश्रम में स्वामी दीन दयालु जी महाराज के पार्थिव शरीर को दर्शनार्थ रखा गया है। जहां उनको श्रद्धाजंलि देने के लिए देशभर से उनके भक्तों, अनुयायी का सैलाब उमड़ पड़ा है। आश्रम के ट्रस्टी मनोहर लाल ने जानकारी देते हुए बताया कि दीन दयालु जी महाराज का अंतिम संस्कार कल दोपहर 12 बजे खड़खड़ी स्थित श्मशान घाट पर पूर्ण विधि-विधान से सम्पन्न किया जायेगा। जबलपुर (म.प्र.) में 1928 में पथरई गांव में पाण्डे परिवार में जन्मे दीन दयालु महाराज स्वामी करपात्री महाराज के परम शिष्य रहे। उन्होंने नर्वदा के किनारे जलहरि घाट पर रहकर साधना, तप किया। दीन दयालु महाराज श्रीविद्या के परम उपासक थे। उन्होंने धर्म, प्रचार व संस्कृति शिक्षा के उन्नयन हेतु हरिद्वार, वृन्दावन, काशी, हांसी, ऊना, जबलपुर में आश्रमों व संस्कृत विद्यालय की स्थापना की। 20 वर्ष की आयु से उन्होंने कथा व्यास के रूप में देश-विदेश में श्रीमद् भागवत, शिव पुराण, रामकथा, देवी भागवत, अष्टावक्र गीता, गीता प्रवचन, गणेश पुराण, सूर्य पुराण की 250 हजार से अधिक कथाओं का प्रवचन किया। उन्होंने अपने जीवनकाल में निरन्तर 71 वर्षों तक कथाव्यास के रूप में कार्य किया। दीन दयालु महाराज ने कथा प्रचवन के साथ-साथ भागवत रहस्य,अष्टावक्र गीता,गीता रहस्य, राम गीता, दुख की जड़ काम और सुख की जड़ राम जैसी पुस्तकों भी लिखी। उनके निधन से देशभर में संत समाज व उनके लाखों अनुयायियों में शोक की लहर व्याप्त हो गयी है। पूर्व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक,भाजपा पार्षद दल के उपनेता अनिरूद्ध भाटी, संस्था के ट्रस्टी मनोहर लाल,सतपाल शिंगला,योगेश कुमार बंसल,चन्द्रभूषण शुक्ला,दिनेश शर्मा,राघव ठाकुर समेत अनेक गणमान्यजनों ने दीन दयालु महाराज के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए अपनी भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की।
हरिद्वार। विश्व विख्यात कथाव्यास भागवत भूषण दीन दयालु जी महाराज का 91 वर्ष की आयु में आज प्रातः चार बजे पंचकुला में निधन हो गया। उनके पार्थिव शरीर को उनके भक्तजन आज दोपहर हरिद्वार लेकर पहुंचे। मुखिया गली, भूपतवाला हरिद्वार स्थित उनके आश्रम श्री ललित आश्रम में स्वामी दीन दयालु जी महाराज के पार्थिव शरीर को दर्शनार्थ रखा गया है। जहां उनको श्रद्धाजंलि देने के लिए देशभर से उनके भक्तों, अनुयायी का सैलाब उमड़ पड़ा है। आश्रम के ट्रस्टी मनोहर लाल ने जानकारी देते हुए बताया कि दीन दयालु जी महाराज का अंतिम संस्कार कल दोपहर 12 बजे खड़खड़ी स्थित श्मशान घाट पर पूर्ण विधि-विधान से सम्पन्न किया जायेगा। जबलपुर (म.प्र.) में 1928 में पथरई गांव में पाण्डे परिवार में जन्मे दीन दयालु महाराज स्वामी करपात्री महाराज के परम शिष्य रहे। उन्होंने नर्वदा के किनारे जलहरि घाट पर रहकर साधना, तप किया। दीन दयालु महाराज श्रीविद्या के परम उपासक थे। उन्होंने धर्म, प्रचार व संस्कृति शिक्षा के उन्नयन हेतु हरिद्वार, वृन्दावन, काशी, हांसी, ऊना, जबलपुर में आश्रमों व संस्कृत विद्यालय की स्थापना की। 20 वर्ष की आयु से उन्होंने कथा व्यास के रूप में देश-विदेश में श्रीमद् भागवत, शिव पुराण, रामकथा, देवी भागवत, अष्टावक्र गीता, गीता प्रवचन, गणेश पुराण, सूर्य पुराण की 250 हजार से अधिक कथाओं का प्रवचन किया। उन्होंने अपने जीवनकाल में निरन्तर 71 वर्षों तक कथाव्यास के रूप में कार्य किया। दीन दयालु महाराज ने कथा प्रचवन के साथ-साथ भागवत रहस्य,अष्टावक्र गीता,गीता रहस्य, राम गीता, दुख की जड़ काम और सुख की जड़ राम जैसी पुस्तकों भी लिखी। उनके निधन से देशभर में संत समाज व उनके लाखों अनुयायियों में शोक की लहर व्याप्त हो गयी है। पूर्व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक,भाजपा पार्षद दल के उपनेता अनिरूद्ध भाटी, संस्था के ट्रस्टी मनोहर लाल,सतपाल शिंगला,योगेश कुमार बंसल,चन्द्रभूषण शुक्ला,दिनेश शर्मा,राघव ठाकुर समेत अनेक गणमान्यजनों ने दीन दयालु महाराज के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए अपनी भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की।
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