हरिद्वार। निंरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने वाराणसी की तर्ज पर हरिद्वार में हरकी पैड़ी कॉरीडोर बनाने की केंद्र एवं राज्य सरकार की योजना का स्वागत करते हुए कहा है कि हरिद्वार विश्व प्रसिद्ध धार्मिक नगरी है। हरकी पैड़ी पर कॉरिडोर बनने से हरिद्वार की एक अलग पहचान बनेगी। उत्तराखंड के व्यापार पर भी इसका असर पड़ेगा। स्वामी कैलाशानंद गिरी ने कहा है कि काशी विश्वनाथ और उज्जैन महाकालेश्वर कॉरिडोर के साथ भारत सरकार देश के कई प्राचीन सिद्धपीठ का विकास कर रही है। धर्मनगरी हरिद्वार विश्व की अध्यात्मिक राजधानी है। उत्तराखंड सरकार हर की पौड़ी को कॉरिडोर के रूप में विकसित करने की तैयारी कर रही है। यह उत्तराखंड के साथ पूरी दुनिया के लिए विशाल धरोहर होगी और हरकी पौड़ी की दिव्यता भव्यता विराट होगी। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि बनारस में काशी विश्वनाथ कोरिडोर बनने के बाद वहां के व्यापार को भी लाभ हुआ है। उत्तराखंड छोटा राज्य है। यहां पर पर्यटन और तीर्थाटन ही सबसे बड़ा व्यवसाय है। कॉरीडोर बनने से उत्तराखंड में व्यापार को लाभ होगा। उत्तराखण्ड आने वाले पर्यटक व श्रद्धालु सबसे पहले हरिद्वार आते हैं। हरकी पैड़ी कॉरीडोर बनने से हरिद्वार में अधिक संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार आएंगे। इससे मठ, मंदिरों और व्यवसाय को होने वाला लाभ कई गुना बढ़ेगा। सरकार को मिलने वाले राजस्व में भी वृद्धि होगी।
112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।
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