हरिद्वार। श्रीरामलीला कमेटी रजि. के मंचर सीता जन्म और ताड़का वध की लीला का मंचन कर भगवान राम के पुरुषार्थ एवं लोक कल्याणकारी संघर्षमय जीवन का शुभारंभ किया तथा राजधर्म का आदर्श प्रस्तुत कर राजसत्ता को कर्मनिष्ठ बनने का संदेश दिया। रविवार को धनुष यज्ञ तथा लक्ष्मण परशुराम संवाद का दर्शन कराया जाएगा। लीला का शुभारंभ राजा जनक के राज्य में पड़े सूखे की स्थिति और जनता में फैली भुखमरी से किया गया। दर्शाया गया कि राजा के मंत्री जनता की सही जानकारी राजा तक नहीं पहुंचाते हैं। राजा जनक ने स्वयं हल चलाया और दिव्य रूप में सीता की प्राप्ति हुई। उधर अयोध्या में ऋषि विश्वामित्र ने राजा दशरथ से राम और लक्ष्मण को समाज विरोधी तत्वों के दमन के लिए मांगा। दैवीय शक्ति से पुत्र और पुत्री के पिता बने दोनों राजाओं ने अपने राजधर्म का पालन किया। रामलीला का यह संदेश राजसत्ता में हो रहे नैतिक पतन को रोकने के लिए अनुकरणीय होगा। श्रीरामलीला कमेटी ने अपने धर्म और अध्यात्म में निपुण नीति नियंताओं के माध्यम से ऐसे प्रेरणादायी प्रसंगों को सम्मिलित किया है। जिनमें प्रजा से लेकर राजा तक समाज के सभी वर्गों को कर्तव्य पालन क
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