हरिद्वार। कमल मिश्र- प्रदेश के वन एवं आयुष मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय योग को अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। योग सहित भारतीय संस्कृति और भारतीय परंपराओं ने विश्व में अपनी विशेष पहचान स्थापित की है। उत्तराखंड पर ऋषि-मुनियों का विशेष आशीर्वाद है। मोदी सरकार आने के बाद आयुष को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नया मुकाम मिला है। रविवार को उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग सम्मेलन के द्वितीय दिवस के समापन सत्र को संबोधित करते हुए डाॅ.रावत ने कहा कि आप का हर रिसर्च प्रामाणिक और वैज्ञानिक होना चाहिए। बिना साइंटिफिक रिसर्च के आधुनिक दुनिया में कोई वैल्यू नहीं है। लोग नाम के आगे डॉक्टर लगाने के लिए पीएचडी कर रहे हैं ऐसे लोगों के शोध प्रबंधों में प्रमाणिता और वैज्ञानिकता का समावेश नहीं होता। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार योग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ कामाख्या कुमार ने कहा कि योग कोई एक दिन का कार्यक्रम नहीं है यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है और इसे सामूहिक रूप से हमें प्रयास करके विश्व फलक पर फैलाना चाहिए। इस प्रकार की कॉन्फ्रेंस हैं योग के लिए बहुत ही लाभदायक हैं। इससे योग क्षेत्र में आए शिक्षार्थियों और शोधार्थियों के लिए तो यह लाभदायक होती ही है नए लोगों को इससे प्रेरणा मिलती है। डॉ. लक्ष्मीनारायण जोशी ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया। मंच का संचालन डॉ. विनय सेठी ने किया। इस अवसर पर सांसद प्रतिनिधि ओम प्रकाश जमदग्नि, मंडी समिति के पूर्व अध्यक्ष संजय चोपड़ा, शिवचरण नौडियाल, अनूप बहुखंडी, विपिन ध्यानी, ललित शर्मा अनुपम कोठारी, डा. सुधांशु वर्मा,डॉ.सरस्वती काला,डॉ. कंचन जोशी आदि उपस्थित थे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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