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हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में चल रहे पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के समापन अवसर पर प्रतिभागियों को विश्वविद्यालय के कुलगुरु स्वामी रामदेव , यशस्वी कुलपति आचार्य बालकृष्ण , वैदिक विद्वान प्रो0 महावीर अग्रवाल , विदूषी साध्वी देवप्रिया सहित अनेक उत्कृष्ट विद्वानों का मार्गदर्शन विचार पाथेय के रूप में प्राप्त हुआ। योगऋषि स्वामी जी ने कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि संस्कृत के मूर्धन्य विद्वान् एवं राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, तिरुपति के कुलाधिपति रहे आचार्य पंचमुखी जी का पुष्पगुच्छ और शॉल से स्वागत किया। संगीत के आचार्य चन्द्रमोहन ने राग भैरवी में स्वागत गीत प्रस्तुत किया। प्रतिभागियों को अपना पावन आशीर्वाद देते हुए योगऋषि ने निरन्तर वेद मार्ग पर चलने एवं महापुरुषों के अनुसरण की बात कही। उन्होंने ज्ञान के इस अविरल प्रवाह से सीखे गये विषयों को जीवन में उतारने व अपने अध्यापन में भी जोड़ने हेतु प्रेरित किया। विश्वविद्यालय के यशस्वी कुलपति श्रद्धेय आचार्यश्री ने विद्या को पारिभाषित करते हुए कहा कि विद्या वही है जो व्यवहार सिखाए, विकारों से मुक्त करे व मनोभाव में सात्विकता बढ़ाए। उन्होंन