शास्त्र श्रवण एवं स्वाध्याय से मानव का कायाकल्प है सम्भव: आचार्य बालकृष्ण हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय के विशाल सभागार मे दीप-प्रज्ज्वलन एवं श्रद्वा सूक्त पाठ के साथ मूर्धण्य विद्वानो की उपस्थिति में त्रिदिवसीय शास्त्रीय कण्ठपाठ प्रतियोगिता का शुभारम्भ हुआ। केन्द्र सरकार द्वारा जारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत भारतीय ज्ञान परम्परा के प्रशिक्षण एवं संवहन पर विशेष बल दिया गया हैं। इसी उद्देश्य को ध्यान मे ं रखकर प्रतिवर्ष पतंजलि वि.वि.गीता,उपनिषद्,योग दर्शन,पंचोपदेश,निघण्टु शास्त्र,स्मरण हेतु प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती है। इस अवसर पर प्रतिभागियो एवं विद्वानो को अमेरिका से सम्बोधित करते हुए पतंजलि वि.वि. के कुलाधिपति स्वामी रामदेव जी ने कहा कि हमारी आर्ष ज्ञान परम्परा ऋषियों द्वारा दी गई सबसे बड़ी विरासत है जिसकी रक्षा करना हम सभी का कर्त्तव्य होना चाहिए। ज्ञान तीनो ंकालों मे ंसत्य है। जब हम किसी शास्त्र के ज्ञान को आत्मसात् करते है,उसका कण्ठकरण करते है तो उस समय उस ऋषि की आत्मा ज्ञान रूप मे ंहमारे भीतर प्रतिष्ठित हो जाती है। उन्होंने शास्त्रीय ज्ञान के स्वाध्याय को सम्पूर्ण व...
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