हरिद्वार। डासना पीठ गाजियाबाद के महंत स्वामी यतिनरसिंहानंद गिरि को जूना अखाड़े के महामण्डलेश्वर के रूप में अभिषिक्त किया गया। महामण्डलेश्वर पद पर आसीन होने से पहले यतिनरसिंहा नंद ने से श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद महामंत्री महंत स्वामी हरिगिरि महाराज से सन्यास की दीक्षा ली। स्वामी हरिगिरि महाराज ने उन्हे सन्यास की दीक्षा दी। स्वामी हरिगिरि महाराज से दीक्षा लेने के बाद स्वामी यति नरसिंहनंद सरस्वती को जूना अखाड़ा में शामिल करके उन्हें स्वामी नरसिंहानंद गिरी नाम दिया गया। दीक्षा लेने के बाद बुधवार को सबेरे उनको महामण्डलेश्वर पद पर अभिषिक्त किया गया। जूना अखाड़ा के जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने मंत्र देकर महामण्डलेश्वर के रूप में पुकार किया। जगह जगह हिन्दुओ पर हो रहे अत्याचारों को देखते हुए अखाड़ा परिषद के अन्र्तराष्ट्रीय प्रवक्ता महंत स्वामी नारायण गिरी जी महाराज की पहल पर स्वामी हरिगिरी जी महाराज ने अब तक संत समाज में अछूत समझे जाने वाले यति नरसिंहानंद सरस्वती जी महाराज को अपना शिष्य बनाकर उनका महामंडलेश्वर पद पर अभिषेक किया। यति नरसिंहानंद सरस्वती जी महाराज वैश्विक परिदृश्य में इस्लामिक जिहाद के विरुद्ध वैचारिक संघर्ष का सबसे बड़ा चेहरा माना जाता है और कहा जाता है कि मानव इतिहास में इस्लाम के जिहादियों ने उनके सर की सबसे बड़ी कीमत लगाई है। इस दौरान जूना अखाड़ा के अन्र्तराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज, श्रीमहंत उमा शंकर भारती,श्री महंत नारायण गिरी जी महाराज,श्री महंत केदार पुरी जी आदि की मौजूदगी में विधिवत सन्यास दीक्षा देकर स्वामी नरसिंहनंद गिरि को श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा में शामिल किया गया। बुधवार को प्रातः काल 6ः30 बजे ब्रह्म मुहूर्त में जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने हरिहर आश्रम में उनको महामंडलेश्वर पद पर अभिषेक किया और उनको देवी मंदिर डासना गाजियाबाद का पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर घोषित किया। बाद में मायादेवी मन्दिर प्रांगण पहुचे,जहां पर भगवान दत्तात्रेय के चरण पादुका पर पूजा अर्चना करायी गयी। इस दौरान बड़ी संख्या में संतो के अलावा श्रद्वालुगण मौजूद रहे।
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