हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने कहा है कि संतों का जीवन सदैव परोपकार को समर्पित रहता है और महापुरुषों ने सदैव ही समाज को नई दिशा प्रदान की है। ब्रह्मलीन महंत गंगासागर भारती एक महान संत थे। जिन्होंने धर्म एवं संस्कृति के संरक्षण संवर्धन में अपना पूरा जीवन समर्पित किया। राष्ट्र निर्माण में उनका अतुल्य योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की छावनी में आयोजित ब्रह्मलीन महंत गंगासागर भारती के श्रद्धांजलि कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने कहा कि महापुरुष केवल शरीर त्यागते हैं। समाज कल्याण के लिए उनकी आत्मा सदैव व्यावहारिक रूप से उपस्थित रहती है। महंत कैलाश भारती ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत गंगासागर भारती एक तपस्वी एवं विद्वान संत थे। जिन्होंने गंगा तट से अनेकों सेवा प्रकल्प चलाकर समाज को सेवा का संदेश दिया और धर्म एवं संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाया। ऐसे महापुरुषों को संत समाज नमन करता है। महंत पूरन भारती ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है। ब्रह्मलीन महंत गंगासागर एक दिव्य महापुरुष थे। जिनके आदर्श पूर्ण जीवन से युवा संतों को प्रेरणा लेनी चाहिए और समाज कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। कहा कि संत सदा अपने भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। इस अवसर पर महंत देवगिरी, महंत अखिलेश भारती, महंत रावेन्द्र पुरी, महंत कमल पुरी, बाबा ज्ञान भारती, बाबा किशन पुरी, बाबा मनोज गिरी, बाबा सूर्य मोहनगिरी, स्वामी संगम गिरी आदि उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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