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योगगुरू रामदेव ने किया कोरोना को ठीक करने वाली दवा बनाने का दावा

हरिद्वार। विश्वव्यापी कोरोना महामारी को रोकने तथा कोरोना संक्रमित मरीज को दवा से ठी करने का दावा पंतजलि योगपीठ के प्रमुख स्वामी रामदेव ने की है। मंगलवार को उन्होने कहा कि दवा बनाने का चुनौतिपूर्ण कार्य सर्वप्रथम पतंजलि ने पूर्ण किया। स्वामी रामदेव ने कहा कि पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट के सैकड़ों वैज्ञानिकों ने अथक पुरुषार्थ करके पहले क्लिनिकल केस स्टडी तथा बाद में कंट्रोल्ड क्लिनिकल ट्रायल करके, औषधि अनुसंधान के सभी प्रोटोकॉल्स का अनुपालन करते हुए कोरोना की सम्पूर्ण आयुर्वेदिक औषधि ‘कोरोनिल’ तथा ‘श्वासारि वटी’ की खोज की है। उन्होंने कहा कि जिस कोरोना की औषधि पूरा विश्व खोज रहा है। वह हमारे आसपास मौजूद आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में अकूत मात्रा में उपलब्ध है। अन्तर केवल इसके ज्ञान का है। स्वामी रामदेव ने कहा कि यह औषधि कोरोना संक्रमण से बचाव तथा इसके उपचार दोनों में लाभकारी है। उन्होंने कहा कि हमनें दिव्य श्वासारि वटी, पतंजलि गिलोय घनवटी, पतंजलि तुलसी घनवटी एवं पतंजलि अश्वगंधा कैप्सूल की संयुक्त एवं उचित मात्रओं तथा दिव्य अणु तैल के सहयोग से कोरोना को परास्त किया है। इन्हीं गुणकारी औषधियों के घनसत्व के संमिश्रण से कोरोना महामारी की औषधि ‘कोरोनिल’ तथा ‘श्वासारि वटी’ तैयार की गई है। स्वामी रामदेव ने बताया कि इस दवा का रेंडमाइज्ड प्लेसिबो कंट्रोल्ड क्लिनिकल ट्रायल 100 कोरोना संक्रमित रोगियों पर किया। जिसमें 3 दिन में 69 प्रतिशत रोगी कोरोना नेगेटिव पाए गए। जबकि 7 दिन में ही 100 प्रतिशत रोगी नेगेटिव हो गए तथा एक भी रोगी की मृत्यु नहीं हुई। उन्होंने कहा कि यह कोरोना के उपचार के लिए विश्व में आयुर्वेदिक औषधियों का पहला सफल क्लिनिकल ट्रायल है। 100 प्रतिशत रिकवरी तथा शून्य प्रतिशत मृत्यु दर प्रमाणित करती है कि कोरोना का उपचार आयुर्वेद में ही संभव है। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि कोरोना से न डरें, 7 दिन धीरज धरें। प्रत्येक जिले, तहसील व ब्लॉक में पतंजलि स्टोर्स पर शीघ्र ही ये औषधियाँ उपलब्ध होंगी। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि यह ऐतिहासिक दिन है जब ऋषियों के प्राचीन ज्ञान को विज्ञान-सम्मत बनाने में सफलता हासिल की है। क्योंकि जब तक औषधि की प्रामाणिकता सर्वमान्य नहीं होती। तब तक उसका आंकलन सही प्रकार से नहीं किया जाता। आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि इन औषधियों मे अश्वगंधा में निहित शक्तिशाली कम्पाउण्ड विथेनॉन, गिलोय के मुख्य कंपोनेंट टिनोकॉर्डिसाइड, तुलसी में पाए जाने वाले स्कूटेलेरिन तथा दिव्य श्वासारि वटी की अत्यंत प्रभावशाली जड़ी-बूटियों जैसेे- काकड़ाशृंगी, रुदंती, अकरकरा के साथ-साथ सैकड़ों फाइटोकैमिकल्स या फाइटो मेटाबोलाइट्स तथा अनेक प्रभावशाली खनिजों का वैज्ञानिक सम्मिश्रण है। जो कोरोना के लाक्षणिक एवं संस्थानिक चिकित्सा से लेकर रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में प्रामाणिक व वैज्ञानिक रूप से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने बताया कि इन औषधियों की साइंटिफिक रिसर्च के सन्दर्भ में इन्टरनेशनल रिसर्च जर्नल्स में रिसर्च पेपर के पब्लिकेशन की प्रक्रिया चल रही है। आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि इन औषधियों की क्लिनिकल केस स्टडी दिल्ली, अहमदाबाद और मेरठ आदि से लेकर देश के विभिन्न शहरों में की गई तथा रेंडमाइज्ड प्लेसिबो कंट्रोल्ड क्लिनिकल ट्रायल को नेशनल इंस्टिटयूट आॅफ मेडिकल सांइस एण्ड रिसर्च नीम्स यूनिवर्सिटी जयुर के डायरेक्टर प्रो.डा.बलवीर एस. तोमर के नेतृत्व में किया गया। जिसके लिए इंस्टीट्यूश्नल एथिक्स कमेटी के अप्रूवल से लेकर क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्री आॅफ इंडिया के रजिस्ट्रेशन तथा क्लिनिकल कन्ट्रोल ट्रायल की सभी अर्हताएं पूर्ण की गईं। प्रो.डॉ.बलवीर तोमर ने कहा कि हमारे वेद, पुराण, महर्षि चरक तथा महर्षि सुश्रुत की संहिताएँ पूर्णतः वैज्ञानिक हैं। किन्तु एविडेंस उपलब्ध न होने के कारण यह एलोपैथ से पिछड़ गया था। पतंजलि आयुर्वेद को पूर्ण प्रामाणिकता उपलब्ध कराने हेतु संकल्पबद्ध है और हम इसके सहभागी बनने में गौरव अनुभव करते हैं। स्वामी रामदेव ने इस सम्पूर्ण खोज का श्रेय आचार्य बालकृष्ण, निम्स विश्वविद्यालय जयपुर के डॉयरेक्टर प्रो.(डॉ.) बलवीर तोमर व उनकी पूरी टीम, पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ.अनुराग वार्ष्णेय तथा सैकड़ों वैज्ञानिकों को दिया।


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