हरिद्वार। निर्मल गणपति संघ द्वारा आयोजित गणपति महोत्सव में तृतीय दिवस पर भागवताचार्य रवि देव महाराज ने संघ के समस्त सदस्यों को आशीर्वाद दिया। भगवान गजानंद की पूजा-अर्चना की व आरती वंदना की । उन्होंने आशीष बचन देते हुए कहा कि जिस प्रकार भगवान गणेश ने सब देवताओं और अपने बड़े भाई भगवान कार्तिकेय के माध्यम से संसार को ज्ञान का संदेश दिया कि माता-पिता के प्रति अपनी निष्ठा, आस्था और उनके आशीर्वाद से सद्बुद्धि और समृद्धि मिलती है। उन्हांेने कहा कि त्रिभुवन के स्वामी भगवान शंकर और जगत जननी मां पार्वती की परिक्रमा की। जिसके कारण उन्हें त्रिभुवन का आशीर्वाद मिला है उसी दिन से ही भगवान गणपति सब देवों में सर्वप्रथम पूजे जाने लगे। इस कथा को बताते हुए उन्होंने गणपति संघ के सदस्यों एवं गणपति भक्तों, मातृशक्ति से आवाह्न किया कि हमें अपने माता-पिता की सेवा करनी चाहिए। क्योंकि प्रत्यक्ष रूप में ये देवता समान होते हैं। स्वामी जी के साथ में आए गरीब दास आश्रम के प्रबंधक लोकनाथ सुविधि का माल्यार्पण भव्य स्वागत किया गया। स्वामी जी ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि इस वर्ष बहुत ही सादगी और सूक्ष्म रूप से कोरोना महामारी को देखते हुए संघ की ओर से इतना सादगी भरा कार्यक्रम करके शासन और प्रशासन के निर्देशों का भी पालन किया है यह सभी धन्यवाद के पात्र हैं। इसी श्रंृखला में गणपति संघ के सभी साथियों संयोजक रमेशचंद जोशी, नरेश शर्मा, अनिल अरोड़ा, संघ के अध्यक्ष राजू मनोचा, कार्यवाहक अध्यक्ष जॉनी अरोड़ा, उपाध्यक्ष अरविंद अग्रवाल, महामंत्री नीरज जैन, सुनील मनोचा, संजय तनेजा, सोहन सिंह, मोहन सिंह, राहुल कुछल एवं मातृशक्ति के रूप में आरती, बीना भाटिया, शशि शर्मा, विमला देवी, उषा चड्ढा, ऋतु जोशी, पूजा मनोचा, ममता, प्रेरणा, काजल, सुषमा तनेजा एवं सोनिया तनेजा ने भगवान की पूजा-अर्चना की।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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