हरिद्वार।अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि चैत्र नवरात्र के दिनों साधना के साथ प्रभु श्रीराम के वचनों का चिंतन मनन से मन को शांति एवं आत्मा को संतुष्टि मिलती है। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम का जीवन समाज के हित के लिए कार्य करने के लिए प्रेरित करने वाला है। डॉ. पण्ड्या युगऋषि पूज्य पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी के तपःस्थली शांतिकुंज से साधकों को वर्चुअल संदेश दे रहे थे। अपने संदेश में नवरात्र के सातवें दिन साधकों संबोधित करते हुए सुंदरकाण्ड पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम के अनन्य सेवक हनुमान जी ने समुद्र पारकर लंका पहुंचने के साथ माता सीता की खोज कर लेते हैं, और लंका निवासियों को प्रभु के आने का संदेश भी देते हैं। मानस मर्मज्ञ श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या ने कहा कि जब भी समाज व राष्ट्र में किसी भी तरह विपत्ति आई, तब प्रभु ने विभिन्न रूपों में अवतार लेकर समाज व राष्ट्र मुक्ति दिलाई। आस्था संकट के इस दौर में ईश्वर भक्ति और सामूहिक ईश्वराधना से समाज व राष्ट्र को बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम के कार्य करते हुए हनुमान, नल, नील आदि को भक्ति के साथ प्रभु का सान्निध्य मिला। उसी तरह वर्तमान समय में भी निःस्वार्थ भाव से सेवा करने से आत्मिक संतुष्टि और प्रभु का आशीष सुख समृद्धि के रूप में मिलता है। इससे पूर्व संगीत विभाग के भाइयों द्वारा गाई गयी गीत अपनी राह चला लो प्रभु...ने साधकों के मन को उल्लसित किया। श्रोताओं ने भावविभोर हो गीत एवं संदेश का श्रवण किया। इस अवसर पर भारत के विभिन्न राज्यों के अलावा कनाडा, यूके, रसिया आदि देशों से आये गायत्री साधक उपस्थित रहे।
हरिद्वार।अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि चैत्र नवरात्र के दिनों साधना के साथ प्रभु श्रीराम के वचनों का चिंतन मनन से मन को शांति एवं आत्मा को संतुष्टि मिलती है। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम का जीवन समाज के हित के लिए कार्य करने के लिए प्रेरित करने वाला है। डॉ. पण्ड्या युगऋषि पूज्य पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी के तपःस्थली शांतिकुंज से साधकों को वर्चुअल संदेश दे रहे थे। अपने संदेश में नवरात्र के सातवें दिन साधकों संबोधित करते हुए सुंदरकाण्ड पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम के अनन्य सेवक हनुमान जी ने समुद्र पारकर लंका पहुंचने के साथ माता सीता की खोज कर लेते हैं, और लंका निवासियों को प्रभु के आने का संदेश भी देते हैं। मानस मर्मज्ञ श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या ने कहा कि जब भी समाज व राष्ट्र में किसी भी तरह विपत्ति आई, तब प्रभु ने विभिन्न रूपों में अवतार लेकर समाज व राष्ट्र मुक्ति दिलाई। आस्था संकट के इस दौर में ईश्वर भक्ति और सामूहिक ईश्वराधना से समाज व राष्ट्र को बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम के कार्य करते हुए हनुमान, नल, नील आदि को भक्ति के साथ प्रभु का सान्निध्य मिला। उसी तरह वर्तमान समय में भी निःस्वार्थ भाव से सेवा करने से आत्मिक संतुष्टि और प्रभु का आशीष सुख समृद्धि के रूप में मिलता है। इससे पूर्व संगीत विभाग के भाइयों द्वारा गाई गयी गीत अपनी राह चला लो प्रभु...ने साधकों के मन को उल्लसित किया। श्रोताओं ने भावविभोर हो गीत एवं संदेश का श्रवण किया। इस अवसर पर भारत के विभिन्न राज्यों के अलावा कनाडा, यूके, रसिया आदि देशों से आये गायत्री साधक उपस्थित रहे।
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