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10 मीटर एयर राइफल उत्तराखण्ड प्रदेश प्रतिस्पर्धा में रोहन सूद ने किया नाम रोशन

  हरिद्वार। डीएवी स्कूल कक्षा 9वीं के हरिद्वार निवासी होनहार छात्र रोहन सूद ने 10 मीटर एयर राइफल उत्तराखंड प्रदेश प्रतिस्पर्धा में अपने वर्ग 15 वर्ष सर्वाधिक स्कोर 400 में से 383 मारकर प्रथम स्थान पाकर गोल्ड मेडल जीत कर तीर्थनगरी हरिद्वार का नाम रोशन किया है। इसके साथ ही रोहन सूद ने अपने ही वर्ग में टीम अण्डर 15 सर्वाधिक स्कोर में भी प्रथम स्थान पाकर देवभूमि एकेडमी व अपने कोच योगेन्द्र यादव का नाम रोशन करने का काम किया है। रोहन सूद ने अपने इस कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता व देवभूमि एकेडमी के अपने कोच योगेन्द्र यादव को दिया है। उन्हांेने कहा कि कड़ी परिश्रम से ही सफलता हासिल की जाती है। इस अवसर पर देवभूमि एकेडमी के कोच योगेन्द्र यादव ने रोहन सूद के इस सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बताया कि रोहन सूद पिछले एक वर्ष से एयर राइफल में कड़ी परिश्रम कर रहे थे। उसी का परिणाम है कि आज रोहन ने 10 मीटर एयर राइफल उत्तराखण्ड प्रदेश प्रतिस्पर्धा मंे प्रथम स्थान में आकर गोल्ड मेडल प्राप्त किया इसके साथ ही रोहन ने अपने ही वर्ग में टीम अण्डर 15 सर्वाधिक स्कोर में भी प्रथम स्थान हासिल किया है। कोच यो

संतो ने दी ब्रह्मलीन स्वामी क्षत्रपति दास को श्रद्वांजलि

 हरिद्वार। मनोज कुमार खन्ना। गुरु निवास आश्रम के ब्रह्मलीन स्वामी क्षत्रपति दास के सत्रहवीं पूण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि छत्रपति दास जी  एक उच्च कोटि के संत थे। वे न केवल संस्कृत के विद्वान व्याकरणाचार्य थे बल्कि सभी  संस्कृत के छात्रों के लिए सदैव सुलभ विद्वान थे। उनके पढ़ाये हुए एक से एक विद्वान संत और महात्मा हैं जो उनके ही जैसे क्रोध न करने वाले,सत्यनिष्ठ,उनके बताए मार्ग का अनुकरण करने वाले हैं। रविवार को कनखल स्थित गुरु निवास आश्रम में ब्रह्मलीन छत्रपति दास के शिष्य स्वामी देवानंद ने कहा कि संत हमेशा से समाज और देश के कल्याण के लिए चिंतन करता है। संत समाज मनुष्य को हमेशा सत्कर्म की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। कहा कि वे अपने गुरू द्वारा शुरू किये कार्यो को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे है। श्रद्धांजलि समारोह में बड़ी संख्या मे संतों ने शामिल होकर ब्रहमलीन छत्रपति दास को श्रद्धासुमन अर्पित किए। समारोह मे हरियाणा ,उत्तर प्रदेश, दिल्ली,पंजाब ,हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश से आये श्रद्वालुओं ने बड़ी संख्या मे श्रद्धांजलि समारोह में भाग लिया और भंडारे का प

भारत को महान बनाती है गुरू शिष्य परंपरा-आचार्य म.म.स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती

 हरिद्वार। अटल पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि गुरु शिष्य परंपरा भारतीय संस्कृति की एक अनूठी पहचान है। जो संपूर्ण विश्व में भारत को महान बनाती है और इसी के बल पर आज भारत संपूर्ण विश्व का मार्गदर्शन कर रहा है। भूपतवाला स्थित जगदीश स्वरूप आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के विश्राम अवसर पर संत सम्मेलन के दौरान श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि महामंडलेश्वर स्वामी अमृतानंद महाराज एक विद्वान एवं तपस्वी संत हैं। जो वयोवृद्ध अवस्था में भी भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए अपना जीवन समर्पित कर रहे हैं। निर्मल पीठाधीश्वर श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने के लिए महापुरुषों ने हमेशा ही अनूठे प्रयास किए हैं। संत समाज अपने तप और विद्वत्ता के माध्यम से समाज का मार्गदर्शन करता चला आ रहा है। सभी को महापुरुषों के आदर्शो को अपनाकर राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग करना चाहिए। चेतन ज्योति आश्रम के अध्यक्ष स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज एवं महामंडलेश्वर

विलक्षण प्रतिभा की धनी संत थी माता गुरदीस कौर-श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह

 हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा है कि संत परंपरा सनातन संस्कृति की वाहक है और महापुरुषों ने सदैव ही समाज को नई दिशा प्रदान की है। भूपतवाला स्थित नानकपुरा आश्रम में ब्रह्मलीन माता गुरदीस कौर महाराज की प्रथम पुण्यतिथि पर आयोजित संत समागम को संबोधित करते हुए श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि माता गुरदीस कौर एक महान और विलक्षण प्रतिभा की धनी संत थी। जिनका सादा जीवन और उच्च विचार हमेशा समाज को लाभान्वित करते रहेंगे। युवा संतो को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग प्रदान करना चाहिए। कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है। ब्रह्मलीन माता गुरदीस कौर महाराज ने अपना संपूर्ण जीवन सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए समर्पित किया। नानकपुरा आश्रम की अध्यक्ष महंत सुखबीर कौर महाराज ने कहा कि संतों का जीवन सदैव ही सेवा को समर्पित रहता है। महापुरुष केवल शरीर त्यागते हैं। उनकी शिक्षाएं अनंतकाल तक समाज का मार्गदर्शन करती रहती हैं। संत निर्मल सिंह भूरीवाले महाराज ने कहा कि य

श्रीमद्भागवत कथा से होती है सभी इच्छाओं की पूर्ति-स्वामी अंकित दास

 हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदास महाराज के शिष्य बाल स्वामी महंत अंकित दास महाराज ने कहा है कि श्रीमद् भागवत कथा में सभी ग्रंथों का सार निहित है। जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। फल की दृष्टि से श्रीमद्भागवत कथा के समान पुष्कर प्रयाग कोई तीर्थ नहीं है। इसलिए सभी सनातन प्रेमियों को श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। बैरागी कैंप स्थित श्री परशुराम ब्राह्मण धर्मशाला समिति के तत्वाधान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए कथा व्यास महंत अंकित दास महाराज ने कहा कि कथा की सार्थकता तभी है। जब हम इसमें निहित उपदेशों को अपने जीवन दर्शन में शामिल कर उसे अपने व्यवहार में लाएं और अपने माता पिता और गुरुजनों का सम्मान करें। श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से प्रत्येक व्यक्ति में धार्मिक भावना का संचार होता है और उसके तन के साथ-साथ मन का भी शुद्धीकरण हो जाता है। श्री ज्ञान गंगा गौशाला के अध्यक्ष महंत रामदास महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा मोक्षदायक ग्रंथ है। जिसके श्रवण से व्यक्ति के कल्याण का मार्ग प्रशस्त

भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं अपरंपार हैं-श्रीमहंत रघुमुनि

 हरिद्वार।श्री राम शंकर आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन भव्य शोभायात्रा के साथ रुकमणी विवाह का दर्शन चित्रित किया गया। इस दौरान श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत रघु मुनि महाराज ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण की लीलाएं अपरंपार हैं। जो श्रद्धालु भक्त श्रीमद् भागवत कथा का रसपान कर लेता है। उसका जीवन भवसागर से पार हो जाता है। उन्होंने कहा कि संतों के सानिध्य में कथा श्रवण का अवसर सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही प्राप्त होता है। महामंडलेश्वर स्वामी वेदानंद महाराज ने कहा कि रानी रुक्मणी भाग्य की देवी लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं। जिनका गुण चरित्र आकर्षण और महानता सर्वाधिक लोकप्रिय था। वह श्री कृष्ण भगवान की इकलौती पत्नी हैं। इसलिए उन्हें लक्ष्मी माता के समान ही दिव्य लक्षण प्राप्त होने पर लक्ष्मी स्वरूपा कहा जाता है। भगवान श्री कृष्ण अलौकिक हंै। जो अपने भक्तों पर कृपा बरसा कर उनका कल्याण करते हैं। महंत श्रवण मुनि महाराज द्वारा भव्य शोभायात्रा के पश्चात सभी संत महापुरुषों का आभार व्यक्त किया गया। श्रद्धालु भक्तों को कथा का सार समझाते हुए

महान तपस्वी संत थे ब्रह्मलीन बौधप्रकाश महाराज-स्वामी परमात्मदेव

 हरिद्वार। ब्रह्मलीन स्वामी बौधप्रकाश महाराज की 23वीं पुण्यतिथि भूतपवाला स्थित ब्रह्मनिवास आश्रम में समारोहपूर्वक मनायी गयी। श्रद्धालु संगत को संबोधित करते हुए आश्रम के परमाध्यक्ष महामण्डलेश्वर स्वामी परमात्मदेव महाराज ने कहा कि निर्मल जल के समान जीवन व्यतीत करने वाले महान तपस्वी संत ब्रह्मलीन स्वामी बौद्धप्रकाश महाराज ने जीवन पर्यन्त भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने के साथ सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार में अहम योगदान दिया। उनके द्वारा प्रदत्त शिक्षाओं व ज्ञान का अनुसरण करते हुए आश्रम की सेवा परंपरांओं को निरन्तर आगे बढ़ाया जा रहा है। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी बौधप्रकाश महाराज संत समाज के प्ररेणा स्रोत थे। धर्म संस्कृति के प्रति उनका ज्ञान विलक्षण था। युवा संतों को उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए सनातन धर्म संस्कृति के उत्थान में अपना योगदान प्रदान करना चाहिए। स्वामी कृष्णदेव महाराज ने कहा कि संत महापुरूष केवल शरीर त्यागते हैं। उनकी शिक्षाएं अनंतकाल तक समाज का मार्ग दर्शन करती हैं।