हरिद्वार।श्री राम शंकर आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन भव्य शोभायात्रा के साथ रुकमणी विवाह का दर्शन चित्रित किया गया। इस दौरान श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत रघु मुनि महाराज ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण की लीलाएं अपरंपार हैं। जो श्रद्धालु भक्त श्रीमद् भागवत कथा का रसपान कर लेता है। उसका जीवन भवसागर से पार हो जाता है। उन्होंने कहा कि संतों के सानिध्य में कथा श्रवण का अवसर सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही प्राप्त होता है। महामंडलेश्वर स्वामी वेदानंद महाराज ने कहा कि रानी रुक्मणी भाग्य की देवी लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं। जिनका गुण चरित्र आकर्षण और महानता सर्वाधिक लोकप्रिय था। वह श्री कृष्ण भगवान की इकलौती पत्नी हैं। इसलिए उन्हें लक्ष्मी माता के समान ही दिव्य लक्षण प्राप्त होने पर लक्ष्मी स्वरूपा कहा जाता है। भगवान श्री कृष्ण अलौकिक हंै। जो अपने भक्तों पर कृपा बरसा कर उनका कल्याण करते हैं। महंत श्रवण मुनि महाराज द्वारा भव्य शोभायात्रा के पश्चात सभी संत महापुरुषों का आभार व्यक्त किया गया। श्रद्धालु भक्तों को कथा का सार समझाते हुए उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से राजा परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी और कलयुग में भी इसके साक्षात प्रमाण देखने को मिलते हैं। श्रीमद् भागवत ज्ञान, साधना, भक्ति और मर्यादा के साथ प्रेरणादाई उपाख्यानो का अद्भुत संग्रह है। इसलिए कथा का श्रवण सभी के लिए सर्वदा हितकारी है। इस दौरान स्वामी रविदेव शास्त्री,महंत निर्मलदास,स्वामी हरिहरानंद,महंत दिनेशदास,महंत सूरजदास,महंत सुतीक्ष्ण मुनि,महंत श्यामप्रकाश,महंत गुरमीत सिंह,महंत प्रह्लाद दास,महंत रघुवीर दास,महंत दामोदर दास आदि संत महापुरुष उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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