हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा है कि संत परंपरा सनातन संस्कृति की वाहक है और महापुरुषों ने सदैव ही समाज को नई दिशा प्रदान की है। भूपतवाला स्थित नानकपुरा आश्रम में ब्रह्मलीन माता गुरदीस कौर महाराज की प्रथम पुण्यतिथि पर आयोजित संत समागम को संबोधित करते हुए श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि माता गुरदीस कौर एक महान और विलक्षण प्रतिभा की धनी संत थी। जिनका सादा जीवन और उच्च विचार हमेशा समाज को लाभान्वित करते रहेंगे। युवा संतो को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग प्रदान करना चाहिए। कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है। ब्रह्मलीन माता गुरदीस कौर महाराज ने अपना संपूर्ण जीवन सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए समर्पित किया। नानकपुरा आश्रम की अध्यक्ष महंत सुखबीर कौर महाराज ने कहा कि संतों का जीवन सदैव ही सेवा को समर्पित रहता है। महापुरुष केवल शरीर त्यागते हैं। उनकी शिक्षाएं अनंतकाल तक समाज का मार्गदर्शन करती रहती हैं। संत निर्मल सिंह भूरीवाले महाराज ने कहा कि युवा संत भारतीय संस्कृति की रीढ़ हैं। जिनके कंधे पर धर्म एवं संस्कृति को संरक्षण संवर्धन करने का भार टिका है। हम सभी को एक मंच पर आकर राष्ट्र की एकता अखंडता बनाए रखने के लिए प्रयास करने होंगे। तभी एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है। इस अवसर पर बाबा अमरजीत सिंह,बाबा महेंद्र सिंह, बाबा गुरविंदर सिंह, रामस्वरूप सिंह,महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद,महंत देवानंद सरस्वती,स्वामी ऋषिश्वरानंद, महंत प्रह्लाद दास,श्रीमहंत विष्णु दास, बाबा हठयोगी, महंत दुर्गादास, महंत अरुण दास,स्वामी ललितानंद गिरी, महंत निर्भय सिंह,स्वामी केशवानंद,महंत सूरज दास, महंत मोहन सिंह,महंत तीरथ सिंह,महंत शिवानंद, महामंडलेश्वर स्वामी दामोदर शरण दास सहित बड़ी संख्या में संत महंत उपस्थित रहे।
हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा है कि संत परंपरा सनातन संस्कृति की वाहक है और महापुरुषों ने सदैव ही समाज को नई दिशा प्रदान की है। भूपतवाला स्थित नानकपुरा आश्रम में ब्रह्मलीन माता गुरदीस कौर महाराज की प्रथम पुण्यतिथि पर आयोजित संत समागम को संबोधित करते हुए श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि माता गुरदीस कौर एक महान और विलक्षण प्रतिभा की धनी संत थी। जिनका सादा जीवन और उच्च विचार हमेशा समाज को लाभान्वित करते रहेंगे। युवा संतो को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग प्रदान करना चाहिए। कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है। ब्रह्मलीन माता गुरदीस कौर महाराज ने अपना संपूर्ण जीवन सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए समर्पित किया। नानकपुरा आश्रम की अध्यक्ष महंत सुखबीर कौर महाराज ने कहा कि संतों का जीवन सदैव ही सेवा को समर्पित रहता है। महापुरुष केवल शरीर त्यागते हैं। उनकी शिक्षाएं अनंतकाल तक समाज का मार्गदर्शन करती रहती हैं। संत निर्मल सिंह भूरीवाले महाराज ने कहा कि युवा संत भारतीय संस्कृति की रीढ़ हैं। जिनके कंधे पर धर्म एवं संस्कृति को संरक्षण संवर्धन करने का भार टिका है। हम सभी को एक मंच पर आकर राष्ट्र की एकता अखंडता बनाए रखने के लिए प्रयास करने होंगे। तभी एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है। इस अवसर पर बाबा अमरजीत सिंह,बाबा महेंद्र सिंह, बाबा गुरविंदर सिंह, रामस्वरूप सिंह,महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद,महंत देवानंद सरस्वती,स्वामी ऋषिश्वरानंद, महंत प्रह्लाद दास,श्रीमहंत विष्णु दास, बाबा हठयोगी, महंत दुर्गादास, महंत अरुण दास,स्वामी ललितानंद गिरी, महंत निर्भय सिंह,स्वामी केशवानंद,महंत सूरज दास, महंत मोहन सिंह,महंत तीरथ सिंह,महंत शिवानंद, महामंडलेश्वर स्वामी दामोदर शरण दास सहित बड़ी संख्या में संत महंत उपस्थित रहे।
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