हरिद्वार। श्री श्याम वैकुंठ धाम के परमाध्यक्ष श्री महंत श्यामसुंदर दास जी महाराज ने कहा कि कहा सुख और दुख मनुष्य के जीवन रूपी गाड़ी के दो पहिए है।ं उन्होंने सुख को परिभाषित करते हुए कहा जैसे दो कदमों से मनुष्य कदम पर कदम बढ़ाते हुए आसानी से आगे बढ़ जाता है दूसरी तरफ दुख को परिभाषित करते हुए कहा उल्टे पैर पीछे बिना किसी सहारे के जाने जैसा दुख है दुख हमें कुछ कदम पीछे ले जाता है। सुख हमें सुखद अनुभव करते हुए दृष्टि के साथ आगे की ओर ले जाता है। इस अवसर पर बोलते हुए श्री महंत श्यामसुंदर दास जी महाराज ने कहा ईश्वर और धर्म के प्रति आस्था मनुष्य को धर्म से जोड़ने के साथ-साथ ईश्वर से जोड़ती है लेकिन जिनकी आस्था धर्म और ईश्वर मे ना हो उसका मन सदैव अधीर और भटकाव की ओर रहता है। अगर एक समृद्ध शाली सुखद शांति और समृद्धि प्रिय जीवन जीना है तो इस सृष्टि के आधार भगवान हरि भगवान श्री राधा कृष्ण भगवान बालाजी महाराज के प्रति आस्थावान होना अति आवश्यक है। अपने आप को पहचानो और माया के जाल में फंसने की बजाय भगवान श्री हरि भगवान श्री कृष्ण भगवान श्री राम भगवान बालाजी के चरणों में ध्यान लगाओ अपने इस नसवान जीवन को सार्थक करो ईश्वर तक पहुंचाने का माध्यम गुरु है गुरु का सदैव सम्मान करो गुरु के बताए पथ पर आगे बढ़ो।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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