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बंदियों के कल्याण के लिए श्रीमद् देवी भागवत का आयोजन करना सराहनीय-मनोज आर्य

 हरिद्वार। श्री अखंड परशुराम अखाड़ा के तत्वावधान में जिला कारागार रोशनाबाद में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत कथा के नौवें दिन की कथा श्रवण कराते हुए कथा व्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने यज्ञ की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि प्रत्येक व्यक्ति को देवी देवताओं की प्रसन्नता के लिए यज्ञ अवश्य करना चाहिए। उन्होंने बतय कि समस्त देवी देवता भूख से व्याकुल होकर ब्रह्मा के पास जाकर प्रार्थना कर कहते हैं कि पृथ्वी पर जितनी भी पूजा पाठ यज्ञ अनुष्ठान हो रहे हैं। उससे हमारी तृप्ति नहीं हो पा रही है। देवताओं की बात सुन ब्रह्मा ने एक कन्या को उत्पन्न किया और उसका नाम स्वाहा रखा। उन्होंने उस कन्या का विवाह यज्ञनारायण के साथ किया और कहा कि आज से यज्ञ में आहुति देते समय जिस देवता का नाम लेकर स्वाहा कहा जाएगा। वह आहुति उस देवता तक पहुंचेगी। शास्त्री ने बताया कि तब से यज्ञ के माध्यम से जो आहुति दी जाती है। वह देवताओं तक पहुंचती है। इससे देवताओं को बल मिलता है। उस बल से देवी देवता मनुष्यों की मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। यज्ञ करते हुए सभी ने पूर्णाहुति अर्पण की एवं कथा को विश्राम दिया। इस अवसर पर

कथाव्यास ने किया गौ रक्षा के लिए आगे आने का आह्वान

 हरिद्वार। श्री रामलीला समिति मौ.लक्कड़हारान की और से ज्वालापुर में आयोजित श्रीराम कथा के आठवें दिवस की कथा का श्रवण कराते हुए श्रद्धालुओं से नाम जप और गौ रक्षा के लिए आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति घर में गाड़ी और गैराज तो बना रहा है। लेकिन गाय और गौशाला नहीं बना रहा है,जोकि बहुत बड़ी विडंबना है। अवसर पर श्रीपंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के स्वामी गोविन्ददास महाराज,भागवताचार्य देवेन्द्र कृष्ण आचार्य ने भी श्रद्धालुओं को आशीवर्चन प्रदान किए। समिति के अध्यक्ष श्रीराम सरदार,मंत्री प्रदीप पत्थरवाले,संयोजक प्रवीण मल्ल,प्रबंधक नितिन अधिकारी,नरेन्द्र अधिकारी,आशुतोष चक्र पाणि,अरुण भक्त,दिपांकर चक्रपाणि,शिवांकर चक्रपाणि,शोभित खेड़ेवाले,उदित वशिष्ठ,सत्यम अधिकारी,गोविंद मल्ल, शांतनु सरायवाले,हर्षित अधिकारी आदि ने अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया। राहुल श्रोत्रिय ने सपरिवार भगवत पूजन किया। 

स्वामी रामदेव के 30वें संन्यास दिवस पर ‘‘छत्रपति शिवाजी महाराज कथा’’का समापन

रामायण और महाभारत के सभी गुणों को एकत्र करने पर जो समुच्चय बनता है,वह शिवाजी महाराज हैं: स्वामी गोविन्द देव देश में रामराज्य के मूल्य,आदर्श और प्रतिमान गढ़े जाएं: स्वामी रामदेव हरिद्वार। शक्ति, मर्यादा व साधना का महापर्व चौत्र नवरात्रि व रामनवमी के उपलक्ष्य में वेदधर्म व ऋषिधर्म के संवाहक योगऋषि स्वामी रामदेव जी महाराज के 30वें संन्यास दिवस के पावन अवसर पर पूज्य स्वामी गोविन्ददेव गिरि के श्रीमुख से हिन्दवी स्वराज के प्रणेता छत्रपति शिवाजी महाराज की यशोगाथा‘‘छत्रपति शिवाजी महाराज कथा’’का समापन पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में हुआ। स्वामी रामदेव व आचार्य बालकृष्ण ने सभी देशवासियों को रामनवमी की शुभकामनाएँ दीं। ‘छत्रपति शिवाजी महाराज कथा’’के समापन अवसर पर स्वामी गोविन्द देव गिरि जी ने कहा कि रामायण और महाभारत के सभी गुणों को एकत्र करने पर जो समुच्चय बनता है,वह शिवाजी महाराज हैं। एक हजार वर्ष की गुलामी के पश्चात छत्रपति शिवाजी महाराज पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारत के स्वाभिमान को जगाया, अखिल भारत का विचार किया। उनका दृष्टिकोण था कि हमारे सभी तीर्थ मुक्त होने चाहिए और हिन्दुत्व का स्वाभिमा

शांतिकुंज में इदं न मम के भाव से हुई नवरात्र साधना की पूर्णाहुति

  हरिद्वार। नवरात्र साधना के अंतिम दिन गायत्री तीर्थ शांतिकुंज व देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में साधकों ने इदं न मम के भाव से अपने अपने अनुष्ठान की पूर्णाहुति कीं। इस अवसर पर शांतिकुंज परिसर में बहिनों ने 51कुण्डीय तथा देसंविवि परिसर में छात्रों ने 9 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ सम्पन्न कराया।वहीं आखिरी दिन अपने संदेश में अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ.प्रणव पण्ड्या ने आस्था संकट के दौर में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए नवरात्र साधना को महत्त्वपूर्ण बताया। संस्था की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि प्रभु श्रीराम ने एकता, समता एवं शुचिता की मर्यादा का जो पाठ पढ़ाया है, उसका सभी को अनुपालन करना चाहिए। इसके साथ ही 9अप्रैल से प्रारंभ हुए श्रीरामचरित मानस में माता शबरी की योगसाधना के नौ सोपान पर आधारित विशेष व्याख्यानमाला का समापन तथा नवरात्र साधना की पूर्णाहुति हो गयी। इस अवसर पर अनेक साधकों ने इस चैत्र नवरात्रि को अपने जीवन का सबसे अमूल्य क्षण बताते हुए डॉ.पण्ड्या से मिले एवं प्राप्त मार्गदर्शन को जीवनभर अपनाने की बात कही। विभिन्न संस्कार निःशुल्क सम्पन्न-श्रीरामनवमी के पावन अवस

देश में मजबूत एवं स्थायी सरकार की कामना के साथ विशेष अनुष्ठान का समापन

  हरिद्वार। चैत्र नवरात्र के पावन पर्व पर नगर की अधिष्ठात्री देवी मां मायादेवी में गत नौ दिनों से चल रहे विशिष्ठ अनुष्ठान के समापन पर बुधवार को जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरी महाराज के सानिध्य में विशेष शांति यज्ञ का आयोजन किया गया। विश्व शांति राष्ट्र की उन्नति,प्रगति व आगामी लोकसभा चुनाव के निर्विघ्न संपन्न होने के लिए किए गए इस अनुष्ठान में नागा संन्यासियों साधु संतों तथा श्रद्धालुओं ने आहुतियां डाली। इस अवसर पर श्रीमहंत हरि गिरि महाराज,माया देवी मंदिर के मुख्य पुजारी श्रीमहंत सुरेशानंद सरस्वती महाराज,राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत महेश पुरी द्वारा 108 कन्याओं का पूजन किया गया तथा हजारों श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया। नवरात्रों में श्री मायादेवी मंदिर तथा नगर रक्षक कोतवाल आनंद भैरव के दर्शनों के लिए भक्तों का तांता लगा रहा। नवरात्रों में प्रतिदिन महामाया देवी का विभिन्न सामग्रियों से विशिष्ट श्रृंगार किया जाता रहा तथा रात्रि में जागरण व प्रतिदिन विशिष्ट हवन आयोजित किए जाते रहे। श्रीमहंत हरी गिरी महाराज ने इस अवस

प्रधानमंत्री ने पूरी दुनिया में बढ़ाया भारत और सनातन धर्म का मान-श्रीमहंत रविंद्रपुरी

 संत समाज ने लिया श्री मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने का संकल्प हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज के संयोजन में चरण पादुका मंदिर में संतों ने बैठक कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने का संकल्प लिया। बैठक को संबोधित करते हुए अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी दुनिया में भारत और सनातन धर्म के गौरव को बढ़ाया है। आर्थिक व सामरिक रूप से भारत मजबूत हुआ है। पूरे विश्व में देश का मान बढ़ा है। उन्होंने कहा कि संत महापुरूषों के आशीर्वाद से भाजपा भारी बहुमत से चुनाव जीतेगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार देश का नेतृत्व करेंगे। निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी महाराज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा द्वारा उठाए गए कदमों से हिंदू समाज में समरता बढ़ी है। अयोध्या में भव्य राममंदिर का निर्माण होने से सनातन का गौरव बढ़ा है। उन्होंने कहा कि देश का पूरा संत समाज एकजुट होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधा

संस्कृत व संस्कृति के संवर्द्धन को समर्पित रहा स्वामी शंभूदेव जी महाराज का जीवन: म मं. स्वामी अनंतानन्द

  हरिद्वार। उत्तरी हरिद्वार की प्रख्यात धार्मिक संस्था श्री जगदीश आश्रम में संस्था के परमाध्यक्ष महंत स्वामी योगेन्द्रानन्द शास्त्री के संयोजन में ब्रह्मलीन स्वामी पं. शंभूदेव जी महाराज की 49वीं पुण्यतिथि श्रद्धाभाव के साथ आयोजित की गयी। तीन दिवसीय गुरुजन स्मृति समारोह की अध्यक्षता म.मं. स्वामी अनन्तानन्द जी महाराज व संचालन रविदेव शास्त्री ने की। इस अवसर पर आचार्य गरीब दास जी की अखण्ड वाणी का पाठ व संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। संत सम्मेलन में संत समाज ने स्वामी शंभू देव महाराज को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए जगदीश आश्रम के वर्तमान महंत स्वामी योगेन्द्रानन्द शास्त्री के प्रति मंगलकामनाएं प्रकट की। अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में म.मं. स्वामी अनन्तानन्द महाराज ने कहा कि स्वामी पं. शंभूदेव महाराज का समूचा जीवन संस्कृत व संस्कृति के संवर्द्धन को समर्पित रहा। उन्होंने कहा कि स्वामी पं. शंभूदेव महाराज की स्मृति को चिरस्थायी बनाने हेतु उनके शिष्य ब्रह्मलीन स्वामी शांतानंद महाराज ने उनकी स्मृति में स्वामी शम्भुदेव संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना की। स्वामी शंभू देव महाराज संस्कृत के प्रकाण्

मां भगवती के पावन चरित्र श्रवण से तामसिक व दैत्य वृत्ति का नाशः आलोक गिरी

 हरिद्वार। श्री तपोनिधि पंचायती अखाड़ा निरंजनी,मायापुर के संत स्वामी आलोक गिरी महाराज ने कहा कि वासंतिक एवं शारदीय नवरात्र में मां भगवती के पावन चरित्र का श्रवण करने से भक्तों अंतः करण में उत्पन्न होने वाले तामसिक व दैत्य वृत्ति का नाश होता है,मन को निर्मलता की प्राप्ति होती है। नवरात्र में मां भगवती की साधना सभी वांछित मनोकामनाएं पूर्ण होती है। श्री बालाजी धाम सिद्धबलि हनुमान-नर्मदेश्वर महादेव मंदिर निकट फूटबॉल ग्राउंड, जगजीतपुर मे आयोजित श्रीमद् देवी भागवत ज्ञान यज्ञ के पाचवे दिन आचार्य पं.सोहन चंद्र ढौण्डियाल ने बताया कि देवी भागवत में देवी की तीन प्रमुख चरित्र का वर्णन किया गया है प्रथम,मध्यम और उत्तम चरित्र। महिषासुर दैत्य के अत्याचार से संसार को मुक्त कराने के देवताओं द्वारा अपने तेजपुंज से देवी की दिव्य प्रादुर्भाव महालक्ष्मी के रूप हुआ और यही देवी महिषासुर का संहार करके महिषासुर मर्दनी बनीं। मध्यम चरित्र में मां जगदम्बा कौशिकी व कालिका बन शुंभ निशुंभ का वध करती है। उत्तम चरित्र में माता रानी की दिव्य कृपा राजा सुरथ और समाधी वैश्य प्राप्त करते हैं। देवी की यही पावन चरित्र दुर्गा

मां चंडी देवी को प्रिय हैं नारियल चुनरी और गुलाब के पुष्प-महंत रोहित गिरी

 हरिद्वार। नवरात्रों में मां चंडी देवी मंदिर में दर्शनों के लिए भक्तों की अपार भीड़ उमड़ रही है। दर्शन के लिए आए भक्तों को संबोधित करते हुए मां चंडी देवी मंदिर परमार्थ ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं मंदिर के महंत रोहित गिरी महाराज ने कहा कि मां चंडी देवी भक्तों को अभय प्रदान कर उनका कल्याण करती हैं। नवरात्रों में जो भक्त नियमित रूप से मां चंडी के दर्शन करते हैं। उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। प्रत्येक कार्य में सफलता प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि मां चंडी को गुलाब के पुष्प अति प्रिय हैं। देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए नवरात्रों में प्रतिदिन उन्हें गुलाब के पुष्प अर्पित करें और विधि विधान से आराधना करें। मां चंडी की आराधना से भय दूर होता है। साहस का उदय होता है। जिससे भक्त जीवन में आने वाले प्रत्येक चुनौती का साहस पूर्वक सामना कर सफलता प्राप्त करता है। महंत रोहित गिरी ने कहा कि नवरात्र आराधना की सार्थकता तभी है जब हम देवी स्वरूपा कन्याओं का संरक्षण करें। बालिकाओं को भी बालकों के समान ही शिक्षा और जीवन में आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करें। इसलिए सभी को नवरात्र आराधना के साथ बालिकाओं के संरक्षण संव

साधक के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है नवरात्र साधना-श्रीमहंत रविंद्रपुरी

  हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि देवी दुर्गा को समर्पित नवरात्र साधना साधक के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है। निरंजनी अखाड़ स्थित चरण पादुका मंदिर में नवरात्र पूजन के दौरान उपस्थित श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि नवरात्र आराधना से प्रसन्न होकर मां दुर्गा अपने भक्तों को अक्षय पुण्य प्रदान करती हैं। सभी को मन,वचन और कर्म से पवित्र आचरण करते हुए नवरात्रों में नौ दिनों तक नियमपूर्वक मां भगवती की आराधना और पूजन करना चाहिए। आराधना से प्रसन्न होकर देवी भगवती प्रसन्न होती है। देवी की कृपा से साधक के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है। निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी महाराज ने कहा कि मां मनसा देवी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है। उन्होंने कहा कि भक्तों का मां मनसा देवी के दर्शन के बाद चरण पादुका मंदिर में भी दर्शन अवश्य करने चाहिए। चरण पादुका मंदिर में दर्शन करने से भक्तों को देवी की असीम कृपा की प्राप्ति होती है। इस अवसर

समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करती है मां भगवती-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

  हरिद्वार। श्री अखंड परशुराम अखाड़ा के तत्वाधान में जिला कारागार रोशनाबाद में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत कथा के तीसरे दिन की कथा श्रवण कराते हुए कथा व्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि नवरात्रि में मां भगवती का नौ दिन तक पूजन और अष्टमी और नवमी के दिन मां भगवती के निमित्त हवन यज्ञ कर कन्या पूजन किया जाता है तो मां प्रसन्न होकर समस्त मनोकामनाएं पूर्ण कर देती हैं। शास्त्री ने बताया कि कन्या पूजन में दो वर्ष से दस वर्ष तक की कन्या का ही पूजन करना चाहिए। दो वर्ष की अवस्था की कन्या को‘कुमारी कन्या’कहते हैं इनका पूजन करने से दुख तथा दरिद्रता दूर होती है,तीन वर्ष की कन्या ‘त्रिमूर्ति’ कहलाती है इसका पूजन करने से धर्म,अर्थ,काम तीनों की सिद्धि होती है। चार वर्ष की कन्या ‘कल्याणी’कही जाती है। जो इनका पूजन करता है उसे सर्वत्र विजय सुख प्राप्त होता है। पांच वर्ष की कन्या ‘रोहणी’ कहलाती है। शरीर में होने वाले रोगों का नाश इनका पूजन करने से होता है। छःवर्ष की कन्या ‘कालिका’ कहलाती है इसका पूजन करने से सभी शत्रु नष्ट हो जाते हैं। सात वर्ष की कन्या ‘चंडिका’ कहलाती है। इनका पूजन करने स

हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनायी गयी ईद

  हरिद्वार। ईद-उल-फितर का त्योहार हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया गया। शहर और देहात में ईदगाहों और मस्जिदों में लोगों ने ईद की नमाज अदा कर मुल्क की खुशहाली और अमन चैन की दुआएं मांगी। ईद को लेकर लोगों में खास उत्साह रहा। सवेरे सबसे पहले ईदगाह व मस्जिदों में नमाज अदा की गयी। नमाज अदा करने के बाद देश की खुशहाली, एकता, भाईचारे और तरक्की की दुआएं की गयी। लोगों ने एक दूसरे को गले लगाकर ईद की बधाई दी। ईद के अवसर पर घरों में मीठी सेवईयां और कई तरह के पकवानों से मेहमानों का स्वागत किया गया। ईद पर्व को सकुशल संपन्न कराने के लिए पुलिस और प्रशासन की और से सुरक्षा और साफ सफाई के विशेष इंतजाम किए गए थे। ज्वालापुर स्थित ईदगाह में ईद की नमाज अदा करने के लिए सुबह से भीड़ जुटनी शुरू हो गयी थी। ईदगाह में मौलाना वाहिद नमाज अदा करायी। ईद की नमाज अदा कराते हुए मौलाना वहीद ने कहा कि ईद खुशियों का पैगाम देता है। प्यार मोहब्बत के जज्बात आपस में होने चाहिए। नफरत समाप्त कर मुल्क के निजाम को बेहतर बनाएं। सुख,शांति व अमनो चैन से ही देश मजबूत होता है। उन्होंने कहा कि पैगंबर मोहम्मद साहब ने देश दुनिया को इंसानियत क

धनुष यज्ञ की कथा का श्रवण कराया

  हरिद्वार। श्री रामलीला समिति मौहल्ला लक्कड़हारान की और से ज्वालापुर में आयोजित श्री रामकथा के द्वितीय दिवस की कथा श्रवण कराते हुए कथा व्यास वासुदेव दास महाराज ने कहा कि राजा जनक के दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा हुआ था। एक दिन सीता ने घर की सफाई करते हुए उसे उठाकर दूसरी जगह रख दिया। उसे देख राजा जनक को आश्चर्य हुआ, क्योंकि वह धनुष किसी से उठता नहीं था। जनक ने रानी सुनयना से कहा हमारे घर साक्षत मां जगदम्बा जगत जननी का जन्म हुआ है। राजा ने प्रतिज्ञा की कि जो इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा,उसी से सीता का विवाह करेंगे। उन्होंने स्वयंवर की तिथि निर्धारित कर सभी राजा-महाराजाओं को विवाह के लिए निमंत्रण भेजा। वहां आए सभी लोगों ने एक-एक कर धनुष को उठाने की कोशिश की। लेकिन किसी को भी इसमें सफलता नहीं मिली। गुरु की आज्ञा से श्री राम धनुष उठाकर प्रत्यंचा चढ़ाने लगे तो वह टूट गया। इसके बाद धूमधाम से सीता व राम का विवाह हुआ। माता सीता ने जैसे ही प्रभुराम को वर माला डाली वैसे ही देवतागण उन पर फूलों की वर्षा करने लगे।

साधनाकाल में संतों के सत्संग का विशेष महत्त्व: डॉ. पण्ड्या

 हरिद्वार।अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि साधनाकाल में संतों के सत्संग का विशेष महत्त्व है। सत्संग से भक्ति का जागरण होता है। सच्चे संतों का सत्संग पारस समान है,वे स्वयं कष्ट सहकर दूसरों की समस्याओं को दूर करने का प्रयत्न करते हैं। प्रसिद्ध आध्यात्मिक चिंतक डॉ.पण्ड्या गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के मुख्य सभागार में श्रीरामचरित मानस में माता शबरी की योगसाधना विषय पर भक्तिभाव में डूबे हजारों साधकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सच्चे संत का चरित्र व व्यवहार उत्तम होता है। वे अपने निकट आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को जीवन,चरित्र व व्यवहार निर्माण का उपदेश देते हैं। वे सर्वत्र समान दृष्टि रखते हैं। गायत्री साधना के साथ संतों का सत्संग जीवन को उत्कर्ष की ओर बढ़ाने में सहायक है। मानस मर्मज्ञ श्रद्धेय डॉ पण्ड्या ने कहा कि गायत्री महामंत्र के जप से सद्बुद्धि आती है और सत्संग से सत्कर्म करने की प्रेरणा जागृत होती है। उन्होंने कहा कि माता शबरी ने अपने सद्गुरु के बताये नियमों का पालन करते हुए कई दशकों तक एकनिष्ठ होकर प्रभु की साधना की। इस अवसर पर श्रीरामचरि

मां भगवती की कृपा से भगवान नारायण ने किया मधु कैटभ का संहार-पंडित शास्त्री

 हरिद्वार। श्री अखंड परशुराम अखाड़े के तत्वाधान में जिला कारागार रोशनाबाद में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत कथा के दूसरे दिन की कथा श्रवण कराते हुए कथाव्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि प्राचीन काल में जब महाप्रलय हो गया और केवल जल ही जल शेष रह गया। उस जलाशय में भगवान नारायण शेष शैया पर विश्राम कर रहे थे। भगवान नारायण के कान की मैल से मधु एवं कैटभ नामक दो दैत्यों की उत्पत्ति हुई। उन्होंने दस हजार वर्षों तक मां भगवती की कठोर साधना की। मां भगवती ने प्रसन्न होकर के इनकी इच्छा अनुसार वरदान प्रदान कर दिया। वरदान प्राप्त कर दोनों दैत्य ब्रह्मा जी को मारने के लिए चले। ब्रह्मा अपने प्राणों को बचाने के लिए भगवान नारायण के पास आए। भगवान नारायण ने मधु एवं कैटभ दोनों दैत्यो के साथ पांच हजार वर्षों तक युद्ध किया परंतु उनका वध नहीं कर पाए। तब भगवान नारायण ने स्वयं मां भगवती जगदंबा की स्तुति की। जिससे प्रसन्न होकर मां भगवती ने भगवान नारायण को मधु एवं कैटभ के वध का उपाय बताया। भगवान नारायण ने मां भगवती के बताए अनुसार अपनी जंघा के ऊपर ही दोनों का संघार किया। शास्त्री ने बताया कि जो भी नव

श्री रामलीला समिति मौहल्ला लक्कडहारान ने किया श्रीराम कथा का आयोजन

 हरिद्वार। श्री रामलीला समिति मौहल्ला लक्कडहारान द्वारा ज्वालापुर में आयोजित श्री रामकथा का शुभारंभ मुख्य जयमान अरविंद मिश्रा,भोलानाथ मिश्रा,सेवाराम मिश्रा,शिवम मिश्रा, शुभम मिश्रा ने कथा व्यास को तिलक कर किया। श्रद्धालुओं को कथा श्रवण कराते हुए कथा व्यास वासुदेव दास महाराज ने कहा कि हरि अनंत, हरि कथा अनंता। सबसे पहले हनुमानजी ने श्रीराम कथा लिखी थी। इसके बाद महर्षि वाल्मीकि ने राम कथा लिखी। उन्होंने राम और उनके जीवन को देखा था। वे अच्छी तरह जानते थे कि राम क्या और कौन हैं। लेकिन जब सवाल लिखने का आया तो नारद मुनि ने उनकी सहायता की। इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष श्रीराम सरदार,मंत्री प्रदीप पत्थरवाले,नरेंद्र अधिकारी,आशुतोष चक्रपाणि,नितिन अधिकारी ,दीपांकर चक्रपाणि,शिवांकर चक्रपाणि,शोभित खेड़ेवाले,उदित वशिष्ठ,नवनीत चक्रपाणि,शिवम अधिकारी,सत्यम अधिकारी,हर्षित अधिकारी, प्रदुमन भक्त,बाबुराम मिश्रा आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

गायत्री साधना से विकसित होती है पात्रता: डॉ. पण्ड्या

 शांतिकुंज में सामूहिक गायत्री साधना अनुष्ठान में जुटे हजारों लोग हरिद्वार। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ.प्रणव पण्ड्या ने कहा कि गायत्री साधना से साधक में पात्रता विकसित होती है। साधना जाति,पांति,कुल,धर्म,धन,बल,परिवार आदि से परे होकर एकनिष्ठ भाव से करनी चाहिए। साधना काल में भगवत सत्ता की स्तुति भी करनी चाहिए, जिससे मन में पवित्र भाव का जागरण हो। प्रभु से नाता जोड़ने का सशक्त माध्यम है साधना और उनकी स्तुति।प्रसिद्ध आध्यात्मिक चिंतक डॉ.पण्ड्या शांतिकुंज के मुख्य सभागार में श्रीरामचरित मानस में माता शबरी की योग साधना विषय पर आयोजित सभा को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर शांतिकुंज कार्यकर्ता भाई बहिन सहित देश विदेश से आये हजारों गायत्री साधक उपस्थित रहे। युवा प्रेरणास्रोत डॉ. पण्ड्या ने कहा कि हृदय की गहराई से की गई साधना फलीभूत होती है। जिस तरह माता शबरी ने प्रभु श्रीराम की साधना, भक्ति की, जिससे उन्हें साधना, योग व ज्ञान की परम अवस्था की प्राप्ति हुई थी। उन्होंने कहा कि साधक के भक्ति भाव से भगवान प्रसन्न होते हैं और उन्हें अपने संरक्षण में लेते हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु

शांतिकुंज में पहुंचे देश विदेश से हजारों साधक, मनोयोगपूर्वक गायत्री साधना में जुटे

 माता शबरी जैसी हो एकनिष्ठ साधना : डॉ. पण्ड्या हरिद्वार। अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ.प्रणव पण्ड्या ने कहा कि माता शबरी जैसी गुरु भक्ति में एकनिष्ठ हो, साधना करनी चाहिए। माता शबरी की श्रद्धा निष्ठा के कारण ही उन्हें प्रभु श्रीराम ने भक्ति के नौ सोपानों का उपदेश दिया। इस नवरात्र साधना में माता शबरी की भाँति श्रद्धाभाव से जप साधना करें। श्रीराम चरित्र मानस विषय पर अनेक पुस्तकों के व्याख्याकार डॉ.पण्ड्या चैत्र नवरात्रि साधना के प्रथम दिन देश-विदेश से आये हजारों साधकों को शांतिकुंज के मुख्य सभागार में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जप साधना के दौरान संतों (सद्गुणों से ओतप्रोत) का सत्संग,भगवान के प्रति अटूट श्रद्धा,उनके चरणों की सेवा,इंद्रियों का संयम,आत्म संतोष,सरल व्यवहार जैसे सद्गुण को अपनायें। इससे भगवान की विशेष कृपा की प्राप्ति होगी। प्रसिद्ध आध्यात्मिक विचारक डॉ पण्ड्या ने कहा कि गुरु की आज्ञा का पालन सब कार्यों में सफलता की जननी है। संसार रूपी भवसागर से पार करने के लिए सद्गुरु ही एकमात्र आधार हैं। उन्होंने साधनाकाल में साधनात्मक मनोभूमि बनी रहे, इस हेतु विभिन्न उदाहरणो

भक्तों पर सदैव कृपा करती है मां दुर्गा-स्वामी निर्मल दास

 हरिद्वार। गौ गंगा धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वामी निर्मल दास महाराज ने कहा कि मां दुर्गा सदैव अपने भक्तों पर कृपा करती है। नवरात्रों के अवसर पर ताडकेश्वर धाम में मां दुर्गा के निमित्त आयोजित विशेष अनुष्ठान के दौरान उपस्थित श्रद्धालु भक्तों को मां दुर्गा की महिमा से अवगत कराते हुए स्वामी निर्मल दास महाराज ने कहा कि नवरात्र दुष्टों का नाश कर भक्तों की रक्षा करने वाली मां दुर्गा की आराधना का महापर्व हैं। नवरात्रों में नौ दिनों तक नियमानुसार मां दुर्गा की आराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। नवरात्रों में मां भगवती के नौ स्वरूपों की पूजा साधक को करनी चाहिए। ऐसा करने से मां भगवती अत्यन्त प्रसन्न होती हैं और भक्तों की झोली को खुशियों भर देती है। उन्होंने कहा कि नवरात्रों के अवसर पर शुरू किए गए विशेष अनुष्ठान के प्रभाव से नकारात्मकता दूर होगी और लोक कल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा। इस अवसर पर युवा भारत साधु समाज के राष्ट्रीय महामंत्री रविदेव शास्त्री, स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि,स्वामी दिनेश दास,स्वामी हरिहरानंद सहित कई संत व श्रद्धालु मौजूद रहे। 

जिला जेल में किया श्रीमद् देवी भागवत कथा का शुभारंभ

  हरिद्वार। हिंदू नव वर्ष एवं चैत्र नवरात्रि के अवसर पर श्री अखंड परशुराम अखाड़ा के तत्वावधान में जिला कारागार रोशनाबाद में श्रीमद् देवी भागवत कथा का शुभारंभ भव्य कलश यात्रा के साथ किया गया। कथा व्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने श्रीमद् देवी भागवत महात्मय की कथा का श्रवण कराते हुए बताया कि राजा परीक्षित द्वारा शमिक मुनि का अपमान किए जाने पर शमिक मुनि के पुत्र श्रृंगी ऋषि ने राजा परीक्षित को श्राप दिया उनकी मृत्यु तक्षक नामक सर्प द्वारा डंसने से होगी। समय आने पर तक्षक सर्प द्वारा राजा परीक्षित की मृत्यु हुई। यह जानकर राजा परीक्षित के पुत्र जन्मेजय को बड़ा ही दुख हुआ। अपने पिता के मोक्ष के लिए चिंतित जन्मेजय को देख कर कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास महाराज ने स्वयं जन्मेजय को श्रीमद् देवी भागवत कथा का श्रवण कराया। कथा के प्रभाव से जन्मेजय के पिता राजा परीक्षित मोक्ष को प्राप्त हो गया। शास्त्री ने बताया कि देवी भागवत महापुराण में मां भगवती के ही चरित्रों का वर्णन मिलता है। इस अवसर पर जेल अधीक्षक मनोज आर्य ने सभी बंदियों को हिंदू नव वर्ष की शुभकामनाएं देते हुए बताया कि जिला कारागार रोशना