हरिद्वार। श्री अखंड परशुराम अखाड़ा के तत्वावधान में जिला कारागार रोशनाबाद में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत कथा के नौवें दिन की कथा श्रवण कराते हुए कथा व्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने यज्ञ की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि प्रत्येक व्यक्ति को देवी देवताओं की प्रसन्नता के लिए यज्ञ अवश्य करना चाहिए। उन्होंने बतय कि समस्त देवी देवता भूख से व्याकुल होकर ब्रह्मा के पास जाकर प्रार्थना कर कहते हैं कि पृथ्वी पर जितनी भी पूजा पाठ यज्ञ अनुष्ठान हो रहे हैं। उससे हमारी तृप्ति नहीं हो पा रही है। देवताओं की बात सुन ब्रह्मा ने एक कन्या को उत्पन्न किया और उसका नाम स्वाहा रखा। उन्होंने उस कन्या का विवाह यज्ञनारायण के साथ किया और कहा कि आज से यज्ञ में आहुति देते समय जिस देवता का नाम लेकर स्वाहा कहा जाएगा। वह आहुति उस देवता तक पहुंचेगी। शास्त्री ने बताया कि तब से यज्ञ के माध्यम से जो आहुति दी जाती है। वह देवताओं तक पहुंचती है। इससे देवताओं को बल मिलता है। उस बल से देवी देवता मनुष्यों की मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। यज्ञ करते हुए सभी ने पूर्णाहुति अर्पण की एवं कथा को विश्राम दिया। इस अवसर पर जेल अधीक्षक मनोज आर्य ने श्री अखंड परशुराम अखाड़ा एवं व्यास पीठ का धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि अखाड़ा द्वारा बंदियों के कल्याण के लिए श्रीमद् देवी भागवत का आयोजन करना सराहनीय है। श्रीमद् देवी भागवत के माध्यम से बंदियों के जीवन में परिवर्तन आया है एवं जेल में भक्ति का संचार हुआ है। बंदियों के जीवन में परिवर्तन के लिए समय-समय पर ऐसे आयोजन जेल में होते रहने चाहिए। अखाड़ा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि बंदियों के आत्मकल्याण के लिए जेल प्रशासन की अनुमति पर जेल में श्रीराम कथा, भागवत कथा,देवी भागवत कथा एवं शिव पुराण कथा का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर स्वामी रूद्रानंद सरस्वती,डा.राकेश गैरोला,भावना आर्य,प्यारे लाल आर्य, सोनी आर्य,सविता गैरोला,कुंवर पाल सिंह,दीनदयाल, सोहन सिंह,विकास चंद्र,दीपक लखेड़ा,हर्ष पंडित,विष्णु गौड,रुद्राक्ष भट्ट आदि मौजूद रहे।
हरिद्वार। श्री अखंड परशुराम अखाड़ा के तत्वावधान में जिला कारागार रोशनाबाद में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत कथा के नौवें दिन की कथा श्रवण कराते हुए कथा व्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने यज्ञ की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि प्रत्येक व्यक्ति को देवी देवताओं की प्रसन्नता के लिए यज्ञ अवश्य करना चाहिए। उन्होंने बतय कि समस्त देवी देवता भूख से व्याकुल होकर ब्रह्मा के पास जाकर प्रार्थना कर कहते हैं कि पृथ्वी पर जितनी भी पूजा पाठ यज्ञ अनुष्ठान हो रहे हैं। उससे हमारी तृप्ति नहीं हो पा रही है। देवताओं की बात सुन ब्रह्मा ने एक कन्या को उत्पन्न किया और उसका नाम स्वाहा रखा। उन्होंने उस कन्या का विवाह यज्ञनारायण के साथ किया और कहा कि आज से यज्ञ में आहुति देते समय जिस देवता का नाम लेकर स्वाहा कहा जाएगा। वह आहुति उस देवता तक पहुंचेगी। शास्त्री ने बताया कि तब से यज्ञ के माध्यम से जो आहुति दी जाती है। वह देवताओं तक पहुंचती है। इससे देवताओं को बल मिलता है। उस बल से देवी देवता मनुष्यों की मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। यज्ञ करते हुए सभी ने पूर्णाहुति अर्पण की एवं कथा को विश्राम दिया। इस अवसर पर जेल अधीक्षक मनोज आर्य ने श्री अखंड परशुराम अखाड़ा एवं व्यास पीठ का धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि अखाड़ा द्वारा बंदियों के कल्याण के लिए श्रीमद् देवी भागवत का आयोजन करना सराहनीय है। श्रीमद् देवी भागवत के माध्यम से बंदियों के जीवन में परिवर्तन आया है एवं जेल में भक्ति का संचार हुआ है। बंदियों के जीवन में परिवर्तन के लिए समय-समय पर ऐसे आयोजन जेल में होते रहने चाहिए। अखाड़ा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि बंदियों के आत्मकल्याण के लिए जेल प्रशासन की अनुमति पर जेल में श्रीराम कथा, भागवत कथा,देवी भागवत कथा एवं शिव पुराण कथा का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर स्वामी रूद्रानंद सरस्वती,डा.राकेश गैरोला,भावना आर्य,प्यारे लाल आर्य, सोनी आर्य,सविता गैरोला,कुंवर पाल सिंह,दीनदयाल, सोहन सिंह,विकास चंद्र,दीपक लखेड़ा,हर्ष पंडित,विष्णु गौड,रुद्राक्ष भट्ट आदि मौजूद रहे।
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