हरिद्वार। गंगा बंदी के दौरान जगह जगह गंगा घाटों व गंगा में कूड़े के अंबार लगे हुए हैं। गंगा सफाई अभियान नहीं हो पा रहा है। सामाजिक संस्थाएं सफाई अभियान गंगा बंदी मे नही चला पा रही है। लेकिन गंगा बंदी के दौरान किसी भी सामाजिक संस्था द्वारा गंगा में सफाई अभियान नहीं चलाया जा रहा है। सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा भी अब तक गंगा में फैली गंदगी को एकत्र करने का कार्य कहीं होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। गंगा बंदी का उद्देश्य गंगा में फैली गंदगी को साफ करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष गंगा बंदी की जाती है। लेकिन हरकी पैड़ी सहित विभिन्न घाटों पर अपार संख्या में गंदगी के ढेर देख जा सकते हैं। जनजागरूकता अभियान चलाए तो जाते हैं। उसके बावजूद भी गंगा में मैले कुचेले पदार्थ पाॅलीथीन पन्नियां फेंक दी जाती हैं। लोगों में गंगा के प्रति आस्था तो है लेकिन अपने नैतिक कर्तव्य को लोग भूल जाते हैं। गंगा बंदी के दौरान गंगा में फैले पुराने कपड़े, पाॅलीथीन, पुरानी कांवड़ आदि इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। पिछले कई वर्षो से हरिद्वार की तमाम सामाजिक संस्थाएं, व्यापार मण्डल आदि गंगा सफाई के लिए जुटते रहे हैं। लेकिन दशहरे को गंगा बंदी होने के बाद से अब तक कोई संस्था गंगा की सफाई के लिए आगे नहीं आयी। सूखी गंगा में फैली गंदगी के कारण असहनीय दुर्गन्ध के कारण गंगा तटों पर खड़ा होना भी मुश्किल हो रहा है। समाज सेवी विशाल गर्ग ने बताया कि हमें गंगा की स्वच्छता के लिए हमें आगे आने की जरूरत गंगा बंदी का लाभ तभी मिल सकता है। जब हम एक साथ मिलकर गंगा मे फैली गंदगी को बाहर निकाल कर एकत्र करे नगर निगम के अधिकारियों व कर्मचारियों को भी इस दौरान गंगा सफाई अभियान मे सहयोग देना चाहिए। उन्होने क्षेत्र के व्यापारियों, गंगा सभा के पदाधिकारियों से भी गंगा बंदी का लाभ लेने के लिए वृहद स्तर पर सफाई अभियान में जुटने का आहवान किया।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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