Skip to main content

Posts

Showing posts with the label religious

वृक्षों में तुलसी का महत्वपूर्ण स्थान-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

  हरिद्वार। श्रीराधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में वसंत विहार कॉलोनी ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन की कथा सुनाते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने तुलसी के महत्व का वर्णन करते हुए बताया कि वृक्षों में तुलसी का महत्त्वपूर्ण स्थान है। तुलसी सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाली है। तुलसी के पूजन, दर्शन, सेवन व रोपण से दैविक, भौतिक और आध्यात्मिक तीनों प्रकार के तापों का नाश और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण ने भी तुलसी पूजन किया था। अशोक वाटिका में माता सीता ने प्रभु श्रीराम की प्राप्ति के लिए तुलसी का मानस पूजन ध्यान किया था। हिमालय पर्वत पर माता पार्वती ने भगवान शंकर की प्राप्ति के लिए तुलसी का वृक्ष लगाया था। भगवान विष्णु की कोई भी पूजा बिना तुलसी के पूर्ण नहीं मानी जाती। ऋषि-मुनि अपने आसपास तुलसी का पौधा लगाते थे व तुलसीयुक्त जल का ही आचमन लेते थे। पद्म पुराण के अनुसार तुलसी के दर्शनमात्र से करोड़ों गोदान का फल प्राप्त होता है। तुलसी के पौधे या देशी गाय की नौ बार परिक्रमा

तीर्थनगरी की मर्यादा और जनकल्याण के लिए लड़ेंगे लोकसभा चुनावः डॉ स्वामी संतोषानंद

 ’सनातन,संस्कृति और संत की रक्षा के लिए महामंडलेश्वर संतोषानंद योग्य उम्मीदवारः स्वामी चिन्मयानंद हरिद्वार। श्री अवधूत मंडल आश्रम बाबा हीरादास हनुमान मंदिर के पीठाधीश्वर महंत महामंडलेश्वर डॉ स्वामी संतोषानंद देव जी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म की रक्षा एवं जनकल्याण की कामना से उन्होंने गृहस्थ जीवन का त्यागकर संन्यासी जीवन में प्रवेश किया था। अब इसी भावना से चुनाव में उतरने का निर्णय किया है। उनके इस निर्णय में हनुमानजी का आशीर्वाद है और जनता का सहयोग मिला तो चुनाव में जीत दर्ज कर हरिद्वार के तीर्थत्व की रक्षा के साथ स्थानीय लोगों के हित में कार्य करने के लिए समर्पित होकर कार्य करेंगे।गौरतलब है कि सामाजिक सरोकारों से जुड़ी संस्था पूर्वांचल उत्थान संस्था,इकाई हरिपुर कलां समिति की ओर से महामंडलेश्वर डॉ स्वामी संतोषानंद देव जी महाराज के सम्मान में लिट्टी चोखा भोज श्रीकृष्ण प्रणति प्रणति अक्षर तीर्थ धाम, आश्रम हरिपुर कलां, में आयोजित किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में पूर्वांचल समाज के लोगों ने महामंडलेश्वर डॉ स्वामी संतोषानंद देव जी महाराज के चुनाव लड़ने के निर्णय का स्वागत किया। इस मौके पर स्वा

भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है सामा-चकेबा,

 लोक पर्व के तौर पर मनाया जाता है,मिथिला बिहार में त्यौहार  हरिद्वार। सामा चकेवा एक लोक उत्सव है। जों भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। यह पर्व छठ महापर्व के समाप्त होने के बाद शुरू होता है और कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि को खत्म हो जाता है। देखा जाए तो भाई-बहन के अटूट प्रेम का त्योहार न सिर्फ रक्षाबंधन और भाई दूज है,बल्कि सामा चकेवा भी है। भले ही इस त्योहार को देशभर में न मनाया जाता है,लेकिन यह मिथिला और बिहार का महत्वपूर्ण पर्व है। खासकर सामा चकेवा मिथिला का प्रसिद्ध लोक पर्व है। इस पर्व का पर्यावरण,पशु-पक्षी और भाई बहन के स्नेह संबंधों को गहरा करने का प्रतीक है। भाई और बहन के प्यार का त्योहार सात दिनों तक चलता है। इस सामा चकेवा त्योहार की शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष के सप्तमी से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा की रात तक चलता है। बता दें कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी को महिलाएं सामा चकेवा बनाती हैं। इस पर्व को मनाने के दौरान महिलाएं लोक गीत गाती हैं और अपने भाई के मंगल कामना के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं। गांव में इस पर्व को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने के दौरान महि

भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है सामा-चकेबा,

 लोक पर्व के तौर पर मनाया जाता है,मिथिला बिहार में त्यौहार  हरिद्वार। सामा चकेवा एक लोक उत्सव है। जों भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। यह पर्व छठ महापर्व के समाप्त होने के बाद शुरू होता है और कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि को खत्म हो जाता है। देखा जाए तो भाई-बहन के अटूट प्रेम का त्योहार न सिर्फ रक्षाबंधन और भाई दूज है,बल्कि सामा चकेवा भी है। भले ही इस त्योहार को देशभर में न मनाया जाता है,लेकिन यह मिथिला और बिहार का महत्वपूर्ण पर्व है। खासकर सामा चकेवा मिथिला का प्रसिद्ध लोक पर्व है। इस पर्व का पर्यावरण,पशु-पक्षी और भाई बहन के स्नेह संबंधों को गहरा करने का प्रतीक है। भाई और बहन के प्यार का त्योहार सात दिनों तक चलता है। इस सामा चकेवा त्योहार की शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष के सप्तमी से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा की रात तक चलता है। बता दें कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी को महिलाएं सामा चकेवा बनाती हैं। इस पर्व को मनाने के दौरान महिलाएं लोक गीत गाती हैं और अपने भाई के मंगल कामना के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं। गांव में इस पर्व को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने के दौरान महि

उगते सूर्य को अर्ध्य देने के साथ ही लोक आस्था के महापर्व छठ पर्व का समापन

 बड़ी संख्या में छठव्रतियों ने भगवान भास्कर को अर्ध्य प्रदान कर की सुख समृद्वि की कामना हरिद्वार। सोमवार को सबेरे उगते सूर्य को अर्ध्य देने के साथ ही सूर्योपासना एवं लोक आस्था के महापर्व छठ पर्व का समापन हो गया। सोमवार को तड़के ही पंचपुरी के विभिन्न गंगाघाटों पर छठव्रतियों के सिर उनके परिजन छठ का डाला लेकर पहुंचे। पारंपरिक गीतों के साथ भगवान सूर्य नारायण की उदय होने का इंतजार किया भगवान प्रकट हुए छठ व्रत में प्रदान कर मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद मांगा। तीर्थनगरी हरिद्वार में पूर्वांचल समाज की ओर से छठ पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ धूमधाम से मनाया गया। हरिद्वार के सभी गंगाघाटों पर छठ व्रतियों को देखने वालों की भीड़ जुटी रही। हरिद्वार के तमाम गणमान्य संत-महंतो राजनैतिक दलों के नेताओं,समाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं से जूडे लोगों ने छठ व्रतियों को अपनी शुभकामनाएं दी हैं। पूर्वांचल उत्थान संस्था,पूर्वांचल जनजागृति संस्था,पूर्वांचल छठ पूजा समिति जैसी तमाम संस्थाओं की ओर से छठ घाटों पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। पूर्वांचल उत्थान संस्था के अध्यक्ष सीए आशुतोष पांडेय,महासचिव बीएन र

गंगा घाटों पर उमड़ा आस्था का सैलाब, छठ व्रतियों के देखने जुटी भारी भीड़

डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य प्रदान कर छठ व्रतियों ने मांगा मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद  हरिद्वार। लोक आस्था का पर्व चार दिवसीय छठ पर्व के तीसरे दिन बड़ी संख्या में श्रद्वालुओं ने हर की पैड़ी सहित पंचपुरी में अनेक स्थानों पर गंगाघाटों पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य देकर अपने अपने मनोनुकूल मनोकामना पूर्ण होने की कामना की। तीसरे दिन सायंकाल छठ व्रतियों ने सांयकाल में डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य प्रदान कर सुख-समृद्वि की कामना की। इस दौरान हरिद्वार के समस्त घाटों पर उत्सव का नजारा देखने को मिला। छठ व्रतियों को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। घाट पर छठ व्रतियों के आने-जाने के दौरान सड़कों पर भारी जाम लगा रहा। सोमवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य प्रदान करने के साथ ही छठ पर्व का समापन हो जायेगा। सूर्योपासना एवं लोक आस्था के पर्व छठ पर्व के तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य प्रदान करने के लिए छठ व्रतियों की भीड़ गंगा घाटों पर जुटी। दोपहर तीन बजे से ही छठ का डाला लेकर श्रद्धालुओं का गंगा घाट पहुंचने क्रम जारी हो गया। छठ व्रतियों के लिए गंगा घाटों को दुल्हन की तरह सजाया गया। पारंपरिक धुनों पर

खरना की खीर खाने के साथ शुरू हुआ छठ रविवार को व्रती महिलाएं देंगी अस्ताचल सूर्य को अर्ध्य

 ’’’सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा चार दिवसीय पर्व का समापन  हरिद्वार। खरना की खीर खाने के साथ ही छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जल कठिन उपवास शुरू हो गया। सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य प्रदान करने के बाद ही व्रत समाप्त होगा और इसके साथ ही छठ व्रत का समापन भी हो जायेगा। इस बीर रविवार को छठ व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य प्रदान करने के लिए घाटों पर जुटेंगे। छठ पर्व के दूसरे दिन छठ व्रतियों ने खरना की खीर खाकर छठ व्रत शुरू किया। मान्यता है कि छठ पर्व में खरना की खीर का विशेष महत्व है। यह सौभाग्यशाली लोगों को ही प्राप्त होता है। इसलिए लोग खीर का प्रसाद मांग कर भी खाते हैं। खीर बनाते समय साफ सफाई का पूरा ख्याल रखा जाता है। शुद्धता एवं पवित्रता से बनाई गई खीर ही छठी मैया को भोग लगाई जाती है। थोड़ी सीचूक होने पर उल्टा परिणाम भोगना पड़ता है। पूर्वांचल उत्थान संस्था से जूडे परिवार के लोगों ने भी पूरी सावधानी के साथ खरना की खीर बनाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। पूर्वांचल उत्थान संस्था के अध्यक्ष सीए आशुतोष पांडेय ने कहा कि छठ पर्व को लेकर पूर्वांचल समाज का उत्साह देखते ही बनता

श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने पशुपतिनाथ मंदिर के लिए जल कलश यात्रा को रवाना किया

गंगा भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म की पहचान है-श्रीमहंत रविंद्रपुरी  हरिद्वार। श्री गंगोत्री धाम से नेपाल के पशुपति नाथ धाम के लिए रवाना हुई गंगा कलश यात्रा का हरिद्वार पहुंचने पर अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने निरंजनी अखाड़ा स्थित चरण पादुका मंदिर में पूजा अर्चना कर स्वागत किया। पूजा अर्चना के उपरांत श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने गंगा कलश यात्रा को पशुपति नाथ धाम के लिए रवाना किया। शुक्रवार को गंगोत्री धाम के रावल शिवप्रकाश महाराज गंगा कलश यात्रा लेकर हरिद्वार पहुंचे थे। शनिवार को चरण पादुका मंदिर में कलश पूजन कर यात्रा को नेपाल रवाना किया गया। इस दौरान अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि गंगा भारतीय संस्कृति व धर्म की पहचान है। गंगोत्री से पशुपतिनाथ मंदिर गंगा जल कलश ले जाए जाने की परंपरा आदि अनादि काल से चली आ रही। लेकिन बीच में इसे किन्हीं कारणों से रोक दिया गया था। रावल शिवप्रकाश महाराज के इस परंपरा को पुनः शुरू करने के बाद यह 23वीं यात्रा है। यात्रा मुरादाबाद, बरेली, लखनऊ, गोरखपुर स्थित गोरक्षनाथ मंदिर होते हु

पौराणिक तीर्थो की यात्रा कर हरिद्वार पहुंची जूना अखाड़े की पवित्र छड़ी

  हरिद्वार। गढ़वाल और कुमांऊं मंडल के पौराणिक तीर्थो की यात्रा पर गयी श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े की पवित्र छड़ी वापस हरिद्वार लौट आयी है। बुधवार की शाम श्यामपुर स्थित श्री प्रेमगिरी धाम पहुंची पवित्र छड़ी का संतों ने पूजा अर्चना कर स्वागत किया। छड़ी के प्रमुख महंत तथा श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज ने बताया कि यात्रा का समापन 25 नवंबर को होना था। लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फबारी होने के कारण ओम पर्वत, आदि कैलाश, नारायण आश्रम जाने का कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। उन्होंने बताया कि 31 अक्टूबर को ऋषिकेश स्थित तारा मंदिर से यात्रा शुरू करने के बाद पवित्र छड़ी लाखामंडल,यमुनोत्री,गंगोत्री,उत्तरकाशी के विश्वनाथ मंदिर,रुद्रप्रयाग में कोटेश्वर महादेव, केदारनाथ,बद्रीनाथ,ऊखीमठ,त्रिजुगी नारायण,धारी देवी,पांडुकेश्वर,जोशीमठ में शंकराचार्य गुफा, अक्षय वट दर्शन,नरसिंह मंदिर में पूजा अर्चना के प्रथम चरण को पूरा कर रात्रि विश्राम के लिए कर्णप्रयाग पहुंची। कर्णप्रयाग से यात्रा के दूसरे चरण में पवित्र छड़ी कुमांऊं मंडल के पौराणिक तीर्थ बागेश्वर पहुंची। बागनाथ मंदिर में

जूना अखाड़ा द्वारा संचालित छड़ी यात्रा पहुची गंगोत्री धाम,उत्तराखण्ड के विकास की कामना

 हरिद्वार। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े की पवित्र छड़ी ने शनिवार को उत्तराखंड के पवित्र गंगोत्री धाम के दर्शन कर पूजा अर्चना की। नागा संन्यासियों व श्रद्धालुओं के जत्थे के साथ छड़ी के प्रमुख महंत व श्री पंच दर्शनाम जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत प्रेम गिरी के नेतृत्व में गंगोत्री धाम पहुंची पवित्र छड़ी ने सर्वप्रथम मां गंगा की पूजा अर्चना की। तीर्थ पुरोहितों ने पूरे विधि विधान व वैदिक मंत्रोच्चार के साथ गंगाजल से अभिषेक कर तिलक,चंदन,पुष्प अर्पित किए। गंगा अभिषेक के पश्चात पवित्र छड़ी मां गंगा के मंदिर पूजा अर्चना के लिए ले जायी गई। मंदिर में पंच मंदिर गंगोत्री समिति के अध्यक्ष हरीश सेमवाल, कोषाध्यक्ष प्रेम कांत सेमवाल,सचिव सुरेश सेमवाल ने हजारों तीर्थ यात्रियों और श्रद्धालुओं तथा स्थानीय नागरिकों के साथ पवित्र छड़ी की पूजा अर्चना कर गर्भ गिरी में स्थापित किया। जहां वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना कर उत्तराखंड के सर्वांगीण विकास का आशीर्वाद मांगा। अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत प्रेमगिरी महाराज ने इस यात्रा का उद्देश्य बताते हुए श्रद्धालुओं को कहा कि सनातन धर्म की स

पवित्र छड़ी पहुची उत्तरकाशी,जिला प्रशासन की ओर से पुष्पवर्षा कर पूजा अर्चना

  हरिद्वार। श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े की पवित्र छड़ी अपनी उत्तराखंड के पौराणिक पवित्र धामों की यात्रा के प्रथम चरण में शुक्रवार को यमुनोत्री धाम के दर्शनों व पूजा अर्चना के बाद उत्तरकाशी पहुंची। पवित्र छड़ी के उत्तरकाशी पहुंचने पर स्थानीय जिला प्रशासन के अधिकारियों तहसीलदार जागेंद्र सिंह चौहान,राजस्व उप निरीक्षक दीपेंद्र सिंह चौहान,सुशील चौहान,राजेंद्र आर्य आदि ने स्वागत किया। जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत प्रेम गिरि महाराज के नेतृत्व में नागा संन्यासियों के जत्था ने हर हर महादेव का जय घोष करते हुए नगर की परिक्रमा की तथा कैलाश घाट पर मां गंगा की पूजा अर्चना कर पवित्र छड़ी का गंगाजल से अभिषेक किया। यहां से पवित्र छड़ी श्रीनगर के प्रमुख मार्ग से होती हुई काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंची,जहां गंगोत्री के विधायक सुरेश चौहान,भाजपा के जिला अध्यक्ष देशराज, पूर्व मंडल अध्यक्ष अजीत पाल पवार,उत्तराखंड आयोग के सदस्य चंडी प्रसाद,महर्षि नौटियाल, गणेश भट्ट आदि ने पवित्र छड़ी की विधिवत्त पूजा अर्चना कर पुष्प वर्षा से स्वागत किया। पवित्र छड़ी का विश्वनाथ मंदिर में विद्वान ब्राह्मणों ने वैदिक मंत्रोच

पवित्र छड़ी पहुची यमुनोत्री,उत्तराखण्ड के विकास की कामना को लेकर पूजा अर्चना

  हरिद्वार। श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े की पवित्र छड़ी उत्तराखंड के चारों धामों सहित केदार खंड व मानस खंड के समर्थ पौराणिक तीथो के लिए की जा रही यात्रा के प्रथम चरण में शुक्रवार को यमुनोत्री धाम के दर्शन किए तथा मां यमुना की पूजा अर्चना कर उत्तराखंड के विकास उन्नति व पलायन रोकने के लिए प्रार्थना की। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरी,श्री महंत आकाश गिरि, महंत रतन गिरी, महंत आदित्य गिरी, महंत तूफान गिरि, महंत आकाश पुरी,महंत रंजीतानंद गिरि आदि के नेतृत्व में नागा सन्यासियों के जत्थे के साथ शुक्रवार को यमुनोत्री धाम पहुंचने पर मंदिर समिति के अध्यक्ष हरीश सेमवाल व पदाधिकारियो एवं श्रद्धालु भक्तों ने पुष्प बरसाकर पवित्र छड़ी की पूजा अर्चना की। विद्वान पुरोहितों ने माता यमुनोत्री के गर्भ गृह में पवित्र छड़ी का अभिषेक कर पूजा अर्चना की। इससे पूर्व पवित्र छड़ी महाभारत कालीन नगरी लाखामंडल पूजा अर्चना के लिए पहुंची तथा वहां पांडवों द्वारा स्थापित शिवलिंग का अभिषेक कर पूजा अर्चना की। पौराणिक आख्यानों के अनुसार कौरवों ने पांडवों को मारने के लिए यहां पर लाक्षा गृह का निर्माण किया था, ल

उत्तराखंड के केदार खंड और मानस खंड के पौराणिक तीर्थो की यात्रा पर रवाना पवित्र छड़ी

 ऋषिकेश में संतों और श्रद्धालुओं ने छड़ी यात्रा का भव्य स्वागत कर लिया आशीर्वाद हरिद्वार। उत्तराखंड के केदार खंड और मानस खंड के पौराणिक तीर्थो के भ्रमण के लिए  हरिद्वार से रवाना हुई जूना अखाड़े की पवित्र छड़ी यात्रा का ऋषिकेश के तारामाता मंदिर में पंचदशनाम जूना अखाड़े से जुड़े संतों व श्रद्धालुओं ने शंखनाद और हर हर महादेव के उद्धघोष के साथ भव्य स्वागत कर आशीर्वाद लिया। बुधवार की सुबह अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री एवं जूना अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरी,अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेमगिरी महाराज व अखाड़े के अन्य संतो के नेतृत्व में पहुंची छडी यात्रा की जूना अखाडे से संबद्ध तारा देवी मंदिर में मंदिर के मंहत संध्या गिरी,मंहत सरस्वती गिरी, खुशी गिरी,संजय शास्त्री,ऋषिकेश गिरी,गंभीर सिंह मेवाड़,पंडित मुकेश, महाकाल गिरी, सत्यम, महेश,श्रीमहंत रामेश्वर गिरी ने पूजा अर्चना की। जिसके पश्चात छड़ी यात्रा ऋषिकेश के भरत मंदिर, सोमेश्वर मंदिर,वीरभद्र मंदिर,चंदेश्वर मंदिर,त्रिवेणी घाट स्थित दुर्गा मंदिर दर्शन के लिए पहुंची। उसके बाद छड़ी यात्रा उत्तराखंड के लिए रवाना हो गई। श्

भक्तों के सभी मनोरथ सिद्ध करती है मां सिद्धिदात्री-स्वामी कैलाशानंद गिरी

 हरिद्वार। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी ने नवमी पर श्री दक्षिण काली मंदिर में 101 कन्याओं का पूजन कर देवी स्वरूपा कन्याओं से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि नवरात्र सनातन धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है। नवरात्र में नौ दिनों तक मां भगवती की आराधना के पश्चात नवमी को कन्या पूजन करने से साधक को विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है। नवरात्र के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा आराधना की जाती है। भक्तों के सभी मनोरथों को सिद्ध करने के कारण मां भगवती को सिद्धिदात्री कहा गया है। शास्त्रीय पद्धति से परम करुणामयी सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना से भक्तों के सभी कार्य सिद्ध होते हैं। बाधाएं समाप्त होती हैं एवं सुख व मोक्ष की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि कन्या पूजन से ही नवरात्र आराधना पूर्ण होती है। सभी श्रद्धालुओं को कन्या पूजन के साथ उनके संरक्षण संवर्द्धन का संकल्प भी अवश्य लेना चाहिए। इस अवसर पर स्वामी अंवतिकानंद ब्रह्मचारी,बाल मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी,आचार्य पवन दत्त मिश्रा,आचार्य प्रमोद पांडे,स्वामी कृष्णानंद ब्रह्मचारी सहित

नवमी पर अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने किया कन्या पूजन

 कन्या पूजन से मां भगवती होती है प्रसन्न-शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम हरिद्वार। शारदीय नवरात्र की नवमी पर अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने श्रवणनाथ मठ स्थित गंगा घाट पर पूर्ण विधि विधान से 51 कन्याओं का पूजन कर और उन्हें उपहार भेंटकर उनसे आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर जगद्गुरु शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम महाराज ने कहा कि कन्या पूजन करने से मां भगवती बेहद प्रसन्न होती है और भक्तों को नवरात्र आराधना का मनवांछित फल प्रदान करती है। नवरात्र के अवसर पर सभी को समाज में व्याप्त बेटा-बेटी में भेदभाव की कुरीति को समाप्त करने का संकल्प लेना चाहिए। शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम महाराज ने कहा कि देवताओं और दानवों के बीच युद्ध और अच्छाई व बुराई का संघर्ष अनादि काल से चल रहा है। उन्होंने कहा कि सभी देवी देवता शक्ति के आराधक हैं। भगवान राम ने भी रावण और लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए नवरात्रों में मां भगवती की आराधना की थी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि कन्याएं मां भगवती का साक्ष

छड़ी यात्रा के पशुपतिनाथ मंदिर पहुंचने पर श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने किया स्वागत

  हरिद्वार। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा द्वारा आयोजित पवित्र छड़ी यात्रा साधु संतों के जत्थे के साथ सोमवार को नगर परिक्रमा के दौरान पूजा अर्चना के लिए श्रवणनाथ मठ स्थित प्राचीन पशुपतिनाथ मंदिर पहुंची। इससे पूर्व माया देवी मंदिर में नवमी पर्व पर पुजारी श्रीमहंत सुरेशानंद सरस्वती ने पवित्र छड़ी की विधिवत पूजा अर्चना कर रवाना किया। अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज,सचिव श्रीमहंत महेश पुरी,श्रीमहंत शैलेंद्र गिरी, श्रीमहंत पशुपति गिरी,श्रीमहंत शिवदत्त गिरि,महंत महाकाल गिरी,महंत रतन गिरी,महंत ग्वालापुरी,महंत राजेंद्र गिरी,महंत आदित्य गिरि,महंत भीष्म गिरि,महंत धीरेंद्र पुरी आदि के नेतृत्व में पवित्र छड़ी शोभा यात्रा के रूप में भल्ला रोड, भोला गिरी रोड,विष्णु घाट रामघाट,मोती बाजार होते हुए श्रवणनाथ मठ पहुंची। जहां निरंजनी अखाड़े के सचिव व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी ने छड़ी का स्वागत किया। पवित्र छड़ी के साथ साधु संतों ने पशुपतिनाथ महादेव की पूजा अर्चना की तथा जलाभिषेक किया। श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने पशुपतिनाथ महादेव मंदिर के महत्व को र

राममंदिर लोकार्पण के साथ होगा, हिमालय लाडली साध्वी विचित्र रचना का संकल्प पूर्ण

  हरिद्वार। आखिरकार 500 वर्षों की तपस्या के बाद अयोध्या में अगले साल भव्य राम मंदिर  लोकार्पित होने जा रहा है। इसके साथ ही सैकड़ों वर्षों पुरानी संकल्पना पूर्ण हो जाएगी। राम मंदिर का लोकार्पण होने के साथ हिमालय लाडली नाम से प्रख्यात निरंतर सनातन धर्म को और अधिक फैलाने में जीवन समर्पित करने वाली साध्वी विचित्र रचना का संकल्प भी पूर्ण हो जायेगा और वे भगवा वस्त्र धारण करने लगेगी। इसे एक अद्भुत संयोग प्रभु श्री राम जी का 14 वर्ष का वनवास था और हिमालय लाड़ली साध्वी विचित्र रचना के संकल्प का भी वनवास 14 वर्ष का हैं। जो बाबा केदार नाथ एवं भगवान नारायण जी सहित भगवती आदि शक्ति की कृपा से 22 जनवरी 2024 को पावन नगरी अयोध्या में पूर्ण होने जा रहा हैं। ‘‘हिमालय लाड़ली ने एक संकल्प लिया था 2010 में कि वो साधु होने के बाद भी सन्यासी के वस्त्र तब तक नहीं पहनेगीं। जब तक अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर प्रभु का मंदिर नहीं बनता और उस पर भगवा ध्वज नहीं लहराता।‘‘इस पर उनके गुरूपरिवार के लोग टोकतें थे। परन्तु उन्होनें भविष्यबद्री में शीतकाल में घोर तपस्या की उस समय पशु-पंछी, मनुष्य भी उस स्थान को छोड़ देते हैं।

संत समाज के प्रेरणा स्रोत और महान तपस्वी संत थे ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी-आचार्य महामडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी

 त्याग और तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी-श्रीमहंत रविंद्रपुरी हरिद्वार। भारत माता मंदिर के संस्थापक और पदम भूषण से सम्मानित ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रांनद गिरी महाराज का प्रकटोत्सव जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज की अध्यक्षता व सभी तेरह अखाड़ों के सानिध्य में भारत माता मंदिर में समारोह पूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर संत महापुरूषों ने सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन में ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी महाराज के योगदान को स्मरण करते हुए उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान संतों ने नए संसद भवन के निर्माण और संसद सत्र में महिला आरक्षण बिल लाए जाने के सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई भी दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रांनद गिरी महाराज संत समाज के प्रेरणा स्रोत और महान तपस्वी व विद्वान संत थे। उनकी शिक्षाओं पर चलते हुए मानव सेवा में योगदान का संकल्प ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है। संसद के नए भवन और

सनातन धर्म संस्कृति के संवर्द्धन में प्रभावी भूमिका निभायेगा श्री रामानंदीय वैष्णव मंडल-श्रीमहंत विष्णु दास

महंत नारायण दास पटवारी बने श्री रामानंदीय वैष्णव मंडल के अध्यक्ष  हरिद्वार। महंत नारायण दास पटवारी महाराज श्री रामनानंदीय वैष्णव मंडल के अध्यक्ष चुने गए हैं। श्रवणनाथ नगर स्थित श्री रामानंद आश्रम में आयोजित श्री रामानंदीय वैष्णव मंडल की बैठक में मंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत विष्णुदास महाराज के व्यस्तता के चलते पद छोड़ने की इच्छा जताए जाने पर सर्वसम्मति से महंत नारायण दास पटवारी को अध्यक्ष चुना गया। मंडल के वरिष्ठ सदस्य बाबा हठयोगी ने अध्यक्ष पद हेतु महंत नारायण दास पटवारी का नाम प्रस्तावित किया। जिसे सभी सदस्यों ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। इसके पूर्व बैठक में श्री रामानंदीय वैष्णव मंडल की कोषाध्यक्ष महंत माता रंजना देवी महाराज ने आय व्यय का ब्यौरा प्रस्तुत किया। जिसकी मंडल के महामंत्री सूरज दास ने पुष्टि की। मंडल के निवृतमान अध्यक्ष श्रीमहंत विष्णुदास,मंहत दुर्गा दास,बाबा हठयोगी,मंहत रघुवीर दास आदि ने फूल माला व शॉल ओढ़ाकर श्री रामानंदीय वैष्णव मंडल के अध्यक्ष चुने गए महंत नारायण पटवारी दास का स्वागत किया और शुभकामनाएं दी। महंत नारायण दास पटवारी को शुभकामनाएं देते हुए श्रीमहंत विष्णु दास महारा

राष्ट्र की एकता अखण्डता कायम रखने में संतों की अहम भूमिका-श्रीमहंत रविंद्रपुरी

  हरिद्वार। निरंजनी अखाड़े के महंत दर्शन भारती महाराज ने चरण पादुका मंदिर पहुंचकर अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज से भेंटवार्ता की। महंत दर्शन भारती महाराज का स्वागत करते हुए श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि राष्ट्र की एकता अखंडता कायम रखने में सतों की अहम भूमिका रही है। महंत दर्शन भारती महाराज ने धर्म प्रचार प्रसार के साथ उत्तराखंड राज्य निर्माण में भी अहम भूमिका निभायी। संत का पूरा जीवन हमेशा देश व समाज के लिए समर्पित होता है। महंत दर्शन भारती महाराज ने अपने लिए कभी कोई इच्छा नहीं रखी। महंत दर्शन भारती पूरा संघर्ष उत्तराखंड व देश के लिए केंद्रित रहा है। सावन में भगवान शिव की आराधना के महत्व से अवगत कराते हुए श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि सावन में भगवान शिव हरिद्वार में वास कर सृष्टि का संचालन करते हैं। प्रत्येक सनातनी भगवान शंकर की पूजा उपासना करता है। अपने अपने सार्मथ्य के अनुसार भक्त भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। किसी भी प्रकार से भगवान शंकर का अभिषेक किया जाए। अभिषेक से वे प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त की इच्छाओं को पूर्ण क