हरिद्वार। श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े की पवित्र छड़ी उत्तराखंड के चारों धामों सहित केदार खंड व मानस खंड के समर्थ पौराणिक तीथो के लिए की जा रही यात्रा के प्रथम चरण में शुक्रवार को यमुनोत्री धाम के दर्शन किए तथा मां यमुना की पूजा अर्चना कर उत्तराखंड के विकास उन्नति व पलायन रोकने के लिए प्रार्थना की। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरी,श्री महंत आकाश गिरि, महंत रतन गिरी, महंत आदित्य गिरी, महंत तूफान गिरि, महंत आकाश पुरी,महंत रंजीतानंद गिरि आदि के नेतृत्व में नागा सन्यासियों के जत्थे के साथ शुक्रवार को यमुनोत्री धाम पहुंचने पर मंदिर समिति के अध्यक्ष हरीश सेमवाल व पदाधिकारियो एवं श्रद्धालु भक्तों ने पुष्प बरसाकर पवित्र छड़ी की पूजा अर्चना की। विद्वान पुरोहितों ने माता यमुनोत्री के गर्भ गृह में पवित्र छड़ी का अभिषेक कर पूजा अर्चना की। इससे पूर्व पवित्र छड़ी महाभारत कालीन नगरी लाखामंडल पूजा अर्चना के लिए पहुंची तथा वहां पांडवों द्वारा स्थापित शिवलिंग का अभिषेक कर पूजा अर्चना की। पौराणिक आख्यानों के अनुसार कौरवों ने पांडवों को मारने के लिए यहां पर लाक्षा गृह का निर्माण किया था, लेकिन पांडव वहां से बच निकले थे। श्रीमंहत प्रेम गिरि ने यमुनोत्री धाम में सैकड़ो श्रद्धालुओं को पवित्र छड़ी की पौराणिक महत्व तथा उद्देश्य बताते हुए कहा कि यह पवित्र छड़ी यात्रा ढाई हजार वर्ष पूर्व सनातन धर्म की अवधारणा को और मजबूत करने तथा उस समय सनातन धर्म विरोधी ताकतों को समाप्त करने के लिए आद्य जगदगुरु शंकराचार्य महाराज ने प्रारंभ की थी। संपूर्ण भारतवर्ष में दिग्विजय यात्रा कर सनातन धर्म की स्थापना की थी। यह पवित्र छड़ी इस परंपरा का प्रतीक है। वर्तमान परिस्थितियों में पवित्र छड़ी का उद्देश्य सनातन धर्म का प्रचार प्रचार करना,विधर्मियों पर अंकुश लगाने के साथ-साथ उत्तराखंड राज्य में पलायन रोकना, पौराणिक तीर्थ स्थलों का जीर्णोद्धार करना तथा स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने सहित तीर्थाटन को बढ़ावा देना है। उन्होंने बताया यह पवित्र छरी गढ़वाल मंडल के केदारखंड तथा कुमायूं मंडल के मानस खंड के सभी तीर्थों के अतिरिक्त आदि कैलाश व ओम पर्वत की दुर्गम यात्रा भी करेगी। ताकि इन क्षेत्र में भी तीर्थाटन,पर्यटन को बढ़ावा मिले और स्थानीय नागरिकों को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सके। पवित्र छड़ी 4 नवंबर को गंगोत्री धाम दर्शनों के लिए पहुंचेगी।
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