हरिद्वार। जंगल को अपना माइका मानने वाली पहाड़ की एक आदिवासी महिला ने अपनी जान हथेली पर रखकर पेड़ों की रक्षा उनसे चिपक कर की। चिपको आंदोलन की प्रणेता गौरा देवी ने पर्यावरण संरक्षण के लिए चिपको आंदोलन नामक एक अनोखे जन आंदोलन का शंखनाद करके विश्व समुदाय को झकझोर दिया। उक्त विचार वक्ताओं ने भारतीय वृक्ष न्यास (ट्री ट्रस्ट ऑफ इंडिया) द्वारा गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में आयोजित गौरा देवी जन्म शताब्दी महोत्सव में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में प्रकृति को देवी स्वरूपा माना जाता है और देवात्मा हिमालय की पुत्री के रूप में सर्वमान्य है,जिसका संरक्षण और संवर्द्धन करने वाली नारी शक्ति वंदनीय है। गौरा देवी ने अपनी जान की परवाह किए बिना पेड़ों से चिपककर उनकी रक्षा करके चिपको आंदोलन को जन्म दिया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की विश्वव्यापी समस्या का दंश पूरी दुनिया झेल रही है,लेकिन सबसे ज्यादा प्रभाव हिमालय पर देखा जा रहा,जिसे गौरा देवी जैसी वीरांगना ने पचासों वर्ष पहिले भांप लिया था। अशिक्षित महिला को भविष्य में संभावित गंभीर पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान का इतना ज्ञान था कि केवल ...
MANAV JAGAT
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