हरिद्वार। अग्रसेन घाट पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चैथे दिन भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने वामन अवतार, राम जन्म, कृष्ण एवं नन्दोत्सव की कथा का श्रवण कराते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत सबसे श्रेष्ठ एवं पवित्र पुराण है। श्रीमद्भागवत समस्त पुराणों का सार है। श्रीमद्भागवत पुराण में भगवान श्रीकृष्ण के ईश्वरीय और अलौकिक रूप का दिव्य वर्णन किया गया है। श्रीमद्भागवत कथा सच्चे मन से श्रवण व मनन करने से भक्त की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। श्रीमद्भागवत हिंदू समाज और वैष्णव संप्रदाय का एक प्रमुख धार्मिक ग्रन्थ हैं। श्रीमद्भावगत कथा के श्रवण से सभी प्रकार के त्रय ताप, भौतिक, दैविक और आध्यात्मिक आदि कष्टों का शमन होता है। समिति के अध्यक्ष रामबाबू बंसल व महामंत्री डा.विशाल गर्ग ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शांति व मुक्ति मिलती है। पूर्व नगर पालिका चेयरमैन सतपाल ब्रह्मचारी व सांसद प्रतिनिधि एडवोकेट अरविन्द शर्मा ने कथा के आयोजन पर समिति के पदाधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि भक्त और भगवान के बीच एक कड़ी श्रीमद्भागवत है, जो भक्त को भगवान के समीप पहुंचाती है। पार्षद निशा नौड़ियाल, अनुज सिंह, अनिल वशिष्ठ, रेणु अरोड़ा आदि ने व्यासपीठ की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त किया। समिति के पदाधिकारियों की और से सभी को प्रतीक चिन्ह भेंटकर व शाॅल ओढ़ाकर सम्मानित किया। इस अवसर पर विक्रम सिंह नाचीज, विनोद गुप्ता, विकास गर्ग, पार्थ अग्रवाल, पुनीत गोयल, मनोज अग्रवाल, गोपाल शर्मा, सुखबीर, आलोक गर्ग, सचिन अरोड़ा, मनोज गुप्ता, पंकज बंसल, जितिन जैन, वीर गुज्जर, मोहित गुप्ता, मनीष गर्ग, आलोक गर्ग, प्रदीप सहगल, एसपी अग्रवाल, टीआर सहगल आदि मौजूद रहे।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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