हरिद्वार। उदासीन भेख संरक्षक समिति की देवपुरा स्थित गुरूमण्डल आश्रम में हुई बैठक में संतों ने उदासीन सम्प्रदाय के उन्नयन के लिए कार्य करने का संकल्प लिया। श्रीमहंत देवेंद्रदास महाराज की अध्यक्षता में हुई बैठक को संबोधित करते हुए समिति के महासचिव म.म.स्वामी शिवानन्द महाराज ने कहा कि समिति उदासीन सम्प्रदाय के उन्नयन के साथ आश्रमों, मठ मंदिरों के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए सक्रिय रूप से कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि उदासीन सम्प्रदाय के आश्रमों, मठ मंदिरों की संपत्ति पर अनाधिकृत रूप से कब्जा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि संत महापुरूषों को संगठित कर सनातन धर्म के और भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए पूरे देश में अभियान चलाया जाएगा और समाज में फैली कुरीतियों को दूर कर समाज का मार्गदर्शन संगठन के माध्यम से किया जाएगा। महामण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतनानन्द महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति तथा सनातन धर्म के संवर्द्धन में संत समाज की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि उदासीन भेख संरक्षक समिति उदासीन सम्प्रदाय से दीक्षित संतों के अध्ययन हेतु संस्कृत विद्यालय, महाविद्यालयों की स्थापना करने की दिशा में प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि आश्रम अखाड़ों की संपत्ति का संरक्षण संवर्द्धन संत समाज को स्वयं ही करना है। आश्रम अखाड़ों की संपत्ति को लेकर कई बार विवाद भी उत्पन्न हो जाते हैं। ऐसे में संत समाज संगठित होकर जागरूकता से अपने कार्यो को अंजाम दे। बैठक की अध्यक्षता कर रहे श्रीमहंत देवेंद्रस्वरूप महाराज ने कहा कि उदासीन सम्प्रदाय के सभी संतों को एकजुट होकर आपसी सद्भाव बनाए रखते हुए समिति के अधिकारों का प्रचार प्रसार अधिक से अधिक करना होगा। समिति के तत्वावधान में सामाजिक गतिविधियों को वर्ष भर संचालित किया जाएगा। इस दौरान म.म.स्वामी कपिलमुनि महाराज, म.म.स्वामी संतोषानंद देव, म.म.स्वामी उपेंद्र प्रकाश महाराज, महंत प्रेमदास महाराज, स्वामी दिव्यानन्द, स्वामी केशवानन्द, स्वामी गंगादास उदासीन, स्वामी संतोष मुनि, अच्युतानन्द पाठक, महंत ओमप्रकाश, महंत श्याम प्रकाश, स्वामी रूपेंद्र प्रकाश, महंत चंद्रमादास आदि सहित दर्जनों संत मौजूद रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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