हरिद्वार। डीडीओ कोड बहाली को लेकर राजकीय आयुर्वेदिक कर्मचारियों का आंदोलन 11वें दिन भी जारी रहा। ऋषिकुल और गुरुकुल आयुर्वेदिक कॉलेज में कर्मचारियों ने दो घंटे कार्य बहिष्कार किया। कर्मचारियों ने मांग के निस्तारण के लिए मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखियाल निशंक को ज्ञापन भेजा। उत्तराखंड आयुर्वेदिक विवि के कुलपति और कुलसचिव के आश्वासन के बाद भी कर्मचारी अपनी मांग को लेकर डटे हैं। सोमवार को कर्मचारियों ने ऋषिकुल और गुरुकुल कॉलेज परिसर में दो घंटे कार्यबहिष्कार कर धरने दिया। संयुक्त कर्मचारी समिति के संयोजक सचिव शिवनारायण सिंह ने कहा कि विवि प्रशासन ने डीडीओ कोड बहाली का आश्वासन दिया, लेकिन मांग पूरी होने तक कमचारी आंदोलन जारी रखेंगे। कर्मचारी आनंदी, सुनीता तिवारी ने कहा कि मरीजों के हित में कार्यबहिष्कार की समयावधि को कम किया गया है। लेकिन विवि प्रशासन इसको कर्मचारियों की कमजोरी समझने की भूल न करे। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) के प्रांतीय महामंत्री दिनेश लखेड़ा ने कहा कि मंगलवार को कार्यबहिष्कार के दौरान ऋषिकुल परिसर में सफाई की जाएगी। कार्यबहिष्कार में राहुल तिवारी, हरीश चन्द्र गुप्ता, छतरपाल, जयनारायण, अमित लांबा, अजय कुमार विजयपाल सिंह, रोहिताश, नितिन कुमार, राकेष, दीपक यादव, दिलबर सिंह सत्कारी, रमेश तिवारी, अशोक चंद्रा, मंजू पांडेय, बीना शुक्ला, रविशंकर, ज्योति नेगी, दिनेश, कुमार, कल्लू, विनोद कश्यप, अनिल कुमार, रमेश पंत मोहित मिनोचा, ताजबर सिंह, लक्ष्मण वर्मा, आशुतोष गैरोला, बबलू, अरूण कुमार, आनंदी शर्मा, कान्ता देवी, कला नैनवाल, शकुंतला वर्मा, बीना मठपाल, नीता राणा, संध्या रतूड़ी, पूजा, चंद्रकला, बाला देवी, बुगली, डौली, कुसुम, बिमला आादि शामिल रहे।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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