हरिद्वार। युवा भारत साधु समाज के प्रतिनिधिमण्डल ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज से भेंटवार्ता कर उनका स्वागत किया। श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि युवा संत ही सनातन धर्म की रीढ़ हैं। सनातन धर्म के संरक्षण व संवर्द्धन में युवा संत अहम भूमिका निभाएंगे। भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म के प्रचार प्रसार हेतु युवा संतों को पूरे देश में भ्रमण कर समाज को प्रेरित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवा वर्ग पाश्चात्य संस्कृति की और बढ़ रहा है। ऐसे में युवा संतों का नैतिक कर्तव्य बनता है कि वह युवाओं का नेतृत्व कर उनको सनातन भारतीय संस्कृति से अवगत कराएं। युवा भारत साधु समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत शिवानन्द महाराज ने भेंटवार्ता के दौरान कहा कि युवा भारत साधु समाज देश भर में सेवा के प्रकल्पों को संचालित कर रहा है। युवा संतों को अपनी संस्कृति एवं सनातन परंपराओं के निर्वहन में योगदान को लेकर भी प्रेरित करने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि निस्वार्थ सेवाभाव से ही साधु समाज को नई पहचान दी जाएगी। शिवानन्द महाराज ने कहा कि महाकुंभ मेला निर्विघ्न व सकुशल संपन्न हो। इसको लेकर भी युवा संत अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन करेंगे। महंत शिवानन्द महाराज ने कहा कि धर्मनगरी में गौ गंगा के संरक्षण संवर्द्धन के साथ साथ नशा मुक्ति को लेकर भी बड़े स्तर पर अभियान युवा भारत साधु समाज द्वारा चलाया जाएगा। स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि जल्द ही संगठन का विस्तार कर पूरे देश में पदाधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। भेंटवार्ता करने वालों में महंत अरूणदास, महंत अरूणदास, संत जगजीत सिंह, महंत सूरजदास, स्वामी नित्यानन्द, महंत दिनेश दास, स्वामी केशवानन्द, राजेश रस्तोगी व सत्यनारायण शर्मा आदि शामिल रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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