हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने प्रस्ताव पास कर सरकार से श्राईन बोर्ड गठन के निर्णय को तत्काल वापस लेने की मांग की है। निरंजनी अखाड़े में हुई अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक में जनपद हरिद्वार के मंगलौर में बनाए जा रहे स्लाटर हाऊस का निर्माण भी तुरंत बंद करने की मांग की गई। बैठक को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि मठ मंदिरों के अधिग्रहण की सरकार की मंशा को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। श्राईन बोर्ड के गठन का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार मठ मंदिरों से अपना खर्च चलाना चाहती है और साधु संतों को जंगल में भेजना चाहती है। सरकार की इस नीति को सहन नहीं किया जाएगा। यदि अखाड़ों, मठ, मंदिरों का ही अस्तित्व नहीं रहेगा तो धर्म का संरक्षण कैसा होगा। सनातन धर्म पर कुठाराघात बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार को श्राईन बोर्ड के गठन का प्रस्ताव तत्काल वापस लेना चाहिए। मंगलौर में बनाए जा रहे स्लाटर हाऊस का निर्माण भी सरकार को तत्काल बंद कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक को संतों की भावना का सम्मान करते हुए तीन दिन के अंदर कैबिनेट की बैठक बुलाकर स्लाटर हाऊस का निर्माण बंद करने की घोषणा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हरिद्वार में होने वाले महाकुंभ के संपन्न होने तक हरिद्वार नगर निगम क्षेत्र में मांस, मछली, अण्डा व मदिरा की बिक्री पूर्ण रूप से प्रतिबंधित होनी चाहिए। शासन प्रशासन को इस और प्रभावी रूप से कदम उठाने की आवश्यकता है। नागरिकता संशोधन बिल का स्वागत करते हुए कहा कि भारत में रह रहे सभी घुसपैठियों को तत्काल भारत से बाहर किया जाना चाहिए।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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