हरिद्वार। डीडीओ कोड बहाली को लेकर आयुर्वेदिक कर्मचारियों को आंदोलन 27वें दिन भी जारी है। विवि प्रशासन और शासन की उपेक्षा से खफा आयुर्वेदिक शिक्षक और कर्मचारी ऋषिकुल परिसर में बुद्धि-शुद्धि यज्ञ करेंगे। कर्मचारियों ने कहा कि अगर इसके बाद भी डीडीओ कोड बहाल नहीं हुआ तो मांग को लेकर कर्मचारी सड़कों पर उतरेंगे। कर्मचारियों ने मांग को लेकर दोनों राजकीय कॉलेजों में प्रदर्शन भी किया। डीडीओ कोड बहाली को लेकर आयुर्वेदिक कर्मचारियों को आंदोलन 27वें दिन भी जारी है। मंगलवार को शिक्षकों और कर्मचारियों ने ऋषिकुल और गुरुकुल परिसर में शासन और विवि प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। उत्तराखंड आयुर्वेदिक विवि शिक्षक एसोसिएशन की डॉ. रेनू राव ने कहा कि विवि प्रशासन ने दूसरी बार आयुष सचिव को डीडीओ कोड संचालित करने का प्रस्ताव दिया है। डॉ. ओपी सिंह ने कहा कि मांगों को लेकर अब उग्र आंदोलन करना होगा। संयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति के संयोजक सचिव शिवनारायण सिंह ने कहा कि डीडीओ कोड बहाली को लेकर बुधवार को ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज परिसर में बुद्धि-शुद्धि यज्ञ किया जायेगा। चतुर्थ श्रेणी राज्य स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री दिनेश लखेड़ा ने कहा कि मांग पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा। प्रदर्शन के दौरान डॉ. संजय कुमार त्रिपाठी, डॉ. रीना पाण्डेय, डॉ. प्रवेश कुमार, डॉ. ज्ञानेंद्र शुक्ला, डॉ. ऋषि आर्य, डॉ. सविता सोनकर, डॉ. सुषमा रावत, डॉ. अंजलि वर्मा, नरेंद्र बागड़ी, सुमन त्यागी, सुदामा जोशी, सुधा पाण्डेय, राहुल तिवारी, हरीश चंद्र गुप्ता, छतरपाल, मनोज पोखरियाल, अजय कुमार, विजयपाल सिंह, रोहिताश, नितिन कुमार, राकेश, दीपक यादव, दिलबर सिंह सत्कारी, रमेश तिवारी, पूजा पोखरियाल संध्या रतूड़ी, पूजा, चन्द्रकला आादि शिक्षक-कर्मचारी मौजूद रहे।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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