हरिद्वार। श्री भगवान दास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में आयोजित गीता जयंती में कथाव्यास आचार्य करुणेश मिश्र ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता भारतीय संस्कृति का सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है, जो प्रत्येक व्यक्ति को जीवन जीने की कला सिखाता है। उन्होंने कहा कि अध्यात्म चेतना संघ गीता के संदेश को प्रचारित और प्रसारित करने के लिए प्रतिवर्ष गीता महोत्सव का आयोजन करता है। महोत्सव के तहत जनपद के विद्यालयों में गीता ज्ञान प्रतियेागिता का आयोजन किया जाता है। विजेताओं को पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया जाता है। अध्यक्ष प्रो. पीएस चैहान ने कहा कि गीता किसी संप्रदाय विशेष का ग्रंथ नहीं है, यह पूरी मानवता का मार्गदर्शक है। महोत्सव में डॉ. सुनील कुमार बत्रा, डॉ. एचसी गुरुरानी, ललित मिगलानी, डॉ. नरेश मोहन शर्मा, बिजयेंद्र पालीवाल ने गीता के उपदेशों को रेखांकित करते हुए जीवन में उतारने पर जोर दिया। कार्यक्रम में जगदीश विरमानी, जगदीश लाल पाहवा, प्रमोद शर्मा, जितेंद्र मिश्रा, अर्चना वर्मा, संगीता गुप्ता, नेहा मलिक, संगीता चोपड़ा, संदीप खन्ना, शशिकांत गर्ग, अशोक सरदार, प्रशांत मेहता, हरिओम जयवाल, प्रदीप सिखौला, योगेश शर्मा आदि उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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