हरिद्वार। गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय और अन्तः प्रवाह सोसायटी के संयुक्त तत्वाधान में इस गत वर्षो की तरह इस वर्ष भी साहित्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। हरिद्वार लिटरेचर फेस्टिवल नाम से आयोजित इस कार्यक्रम में देश भर से कवि, कलाकार, रंगकर्मी और विभिन्न कला माध्यमों से जुड़े कलाकर्मी एवं साहित्यकार सम्मलित होंगे। 10 जनवरी को हरिद्वार लिटरेचर फेस्टिवल का उद्घाटन सत्र होगा। बॉलीवुड के सुप्रसिद्ध गीतकार समीर लिटरेचर फेस्टिवल के उद्घाटन स्तर के मुख्य अतिथि रहेंगे। नेपाल के प्रसिद्ध कवि और लेखक बसंत चैधरी भी लिटरेचर फेस्टिवल का हिस्सा बनेंगे। उनके रचना संसार पर एक विशेष संवाद सत्र का आयोजन किया जाएगा। भारतीय ज्ञान परम्परा के मूर्धन्य विद्वान प्रो. कपिल कपूर उद्घाटन सत्र में भारतीय साहित्य और संस्कृति पर केन्द्रित अपना बीज वक्तव्य प्रदान करेंगे। हरिद्वार लिटरेचर फेस्टिवल में गोवा निवासी पर्यावरणविद क्लाउड एलवरिस पर्यावरण संचेतना पर एक विशेष संवाद सत्र के माध्यम से अपनी बात रखेंगे। हरिद्वार लिटरेचर फेस्टिवल में अलग-अलग सत्रों के जरिए आर्ट, सिनेमा, थिएटर, और लिटरेचर से जुड़े विद्वानों से बातचीत सुनने का अवसर शहर के लोगों को मिलेगा। देश भर में अभी लिटरेचर फेस्टिवल प्रायः अकादमिक दुनिया से बाहर आयोजित होते रहें हैं। तीन दिन तक चलने वाले हरिद्वार लिटरेचर फेस्टिवल में थिएटर, गजल, दास्तानगोई, संस्कृत कविता, हिन्दी कविता और भारत-नेपाल साहित्य के अन्तर्सम्बंध पर विशेष संवाद सत्रों का आयोजन किया जाएगा। हरिद्वार लिटरेचर फेस्टिवल के डायरेक्टर प्रो. श्रवण कुमार शर्मा ने बताया कि मनुष्य के जीवन में उत्सवधर्मिता के माध्यम से कला, साहित्य और संस्कृति का हस्तक्षेप बढ़ाने के लिए यह आयोजन किया जा रहा है।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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