हरिद्वार। श्री दक्षिण काली पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि महाकुंभ मेला करोड़ो हिन्दुओं की आस्था का केंद्र बिन्दु है। राज्य एवं केंद्र सरकार को महाकुंभ मेले की व्यवस्थाओं में बढ़चढ़ कर अपना योगदान देना चाहिए। लाखों की संख्या में श्रद्धालु भक्त धर्मनगरी में धार्मिक क्रियाकलापों में बढ़चढ़ कर अपनी हिस्सेदारी निभाते हैं। महाकुंभ मेले में सनातन परंपराओं का संगम धर्मनगरी के श्रद्धालुओं को भी देखने को मिलेगा। संत महापुरूषों के सानिध्य व आशीर्वाद से महाकुंभ मेला सफलताओं के नए आयाम रचेगा। उन्होंने कहा कि देश की एकता अखण्डता बनाए रखने में संत समाज निर्णायक भूमिका निभा रहा है। सनातन संस्कृति का प्रचार प्रसार देश दुनिया में संत महापुरूषों के द्वारा समय समय पर किया जाता है। उन्होंने कुंभ मेला प्रशासन से आह्वान करते हुए कहा कि महाकुंभ मेले की समयावधि निकट है। ऐसे में धर्मनगरी के पौराणिक सिद्ध पीठों मंशा देवी, चण्डी देवी आदि मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जाना नितांत जरूरी है। उन्होंने कहा कि गंगा तटों के सौन्दर्यकरण के कार्य तेजी से किए जाएं। मठ मंदिरों आश्रम अखाड़ों की व्यवस्थाओं को दुरूस्त किया जाना चाहिए। स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने राज्य की त्रिवेंद्र सरकार से मांग की कि हाईवे निर्माण एवं फ्लाईओवर व पुलों का निर्माण अतिशीघ्र पूरे किए जाएं। साथ ही हिल बाईपास मार्ग जनहित में सुचारू रूप से खोला जाए। जिससे छोटे बड़े वाहनों की आवाजाही पर प्रतिकूल असर ना पड़े। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष व महामंत्री के नेतृत्व में हरिद्वार महाकुंभ मेला सकुशल व भव्य रूप से संपन्न होगा। इस अवसर पर रोशन शर्मा, कान्हा कर्णवाल, मनोज सिंह चैहान, मुन्ना बाबू, राजीव राजपूत, विश्वजीत सिंह, अंकुश शुक्ला, आचार्य पवन दत्त मिश्र, अनुराग वाजपेयी, पंडित प्रमोद पाण्डे, संजय जैन, शिवकुमार शर्मा, अनूप भारद्वाज, अनिल सिंह आदि उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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