हरिद्वार। कोतवाली ज्वालापुर क्षेत्र में मंगलवार देर रात पंतंग खरीदने को लेकर दो समुदाय के बीच हुई मारपीट और पथराव के मामले में पुलिस ने आरोपियों को चिह्नित करना शुरू कर दिया है। आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को खंगालकर दोनों पक्षों के लोगों की पहचान कर मुकदमा दर्ज करने की तैयारी की जा रही है। मामला अलग-अलग समुदाय से जुड़ा होने के कारण पुलिस सतर्कता बरत रही है। बताते चले कि मंगलवार देर रात को ज्वालापुर पीठ बाजार में पतंग खरीदने को लेकर अलग-अलग समुदाय के दो युवकों के बीच झड़प हो गई थी। इस दौरान दोनों पक्षों की तरफ से 20-20 से ज्यादा लोग आमने-सामने आ गए। दोनों के बीच जमकर मारपीट होने के बाद दोनों ने एक दूसरे पर पथराव करना शुरू कर दिया। दोनों पक्षों में पथराव-मारपीट हुआ। तभी वहां से कार लेकर गुजर रहे राजीव धीमान भी बाल-बाल बच गए। लेकिन उनकी कार के शीशे पत्थर लगने के कारण टूट गए। घटना की जानकारी मिलते ही कोतवाली प्रभारी योगेश सिंह देव ने टीम के साथ मौके पर पहुंचकर स्थिति पर काबू पाया। कार सवार को किसी तरह वहां से निकाला। मामला अलग-अलग समुदाय से जुड़ा होने के चलते सूचना मिलते ही सीओ सिटी अभय सिंह भी तत्काल मौके पर पहुंच गए थे। एहतियात के तौर पर पुलिस फोर्स को मौके पर तैनात कर दिया गया। जबकि बुधवार को भी पुलिस फोर्स घटनास्थल पर तैनात रही। पुलिस पीठ बाजार में मकान और दुकानों के बाहर लगे कैमरों की फुटेज से आरोपियों की पहचान कर रही है। माहौल खराब करने वाले दोनों पक्षों के लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। कोतवाली प्रभारी योगेश सिंह देव ने बताया कि किसी भी सूरत में माहौल बिगाड़ने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। सीसीटीवी से पहचान कर आरोपियों के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदर्मा दर्ज करने की तैयारी चल रही है।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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