हरिद्वार। कांग्रेस के पूर्व महासचिव हाजी इरफान अली भट्टी के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने प्रदेश की जनता को बिजली, पानी, शिक्षा निःशुल्क उपलब्ध कराए जाने की मांग को लेकर जिला प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित किया। इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बसों के बढ़ाए गए किराए को वापस लेने की मांग भी की। इरफान भट्टी ने कहा कि दिल्ली सरकार की तर्ज पर उत्तराखण्ड की जनता को बिजली, पानी व शिक्षा मुफ्त प्रदान की जाए। दिल्ली सरकार अपने नागरिकों को दौ सौ यूनिट बिजली मुफ्त दे रही है। ऊर्जा प्रदेश होने के बावजूद उत्तराखण्ड में विद्युत दरें बेहद अधिक हैं। सरकार को प्रदेश की बढ़ायी दरों को वापस लेकर जनता को कम से कम 200 यूनिट बिजली मुफ्त देनी चाहिए। उत्तराखण्ड में जल प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होने के बावजूद भारी भरकम जल बिल वसूले जा रहे हैं। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग महंगाई के इस दौरान में भारी भरकम बिलों को भुगतान करने में स्वयं को असमर्थ पा रहा है। रसोई गैस सिलेंडर की दरों को भी पूर्व की भांति किया जाए। निजी शिक्षण संस्थाओं द्वारा किए जा रहे अभिभावकों के शोषण पर रोक लगाने के लिए शिक्षा व्यवस्था में दिल्ली की तर्ज पर परिवर्तन कर सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाया जाए। प्रदेश में स्नातक तक निःशुल्क शिक्षा दिए जाने की व्यवस्था लागू की जाए। उन्होंने कहा कि कलियर शरीफ का प्रदेश का पांचवा धाम घोषित किया जाए। ज्ञापन सौंपने वालों में मनोज गोस्वामी, चांद खां, शाहनवाज, अमित कुमार, अब्दुल रहमान, इरफान अब्बासी, मिर्जा नौशाद बेग, निसार अब्बासी, फुरकान, अख्तर, लालू शाह, सोनू, ताज, रोशनी, ममता, सीता, शीला, मोना, बबीता, नूर आलम, सुनील, सलमान, शमीम भट्टी, तौफीक, अमजद, आशिक हुसेन, जाकिर आदि शामिल रहे।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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