हरिद्वार। गुरुकुल महाविद्यालय ज्वालापुर के विवाद में गुरुवार को भी दोनों पक्षों ने परिसर में धरना दिया। एक तरफ क्षेत्रपाल सिंह चैहान, यशवंत सिंह सैनी पक्ष के लोगों ने बेमियादी धरना जारी रख विधायक स्वामी यतीश्वरानंद और उनके लोगों को महाविद्यालय से बाहर करने की मांग दोहराई। वहीं दूसरे पक्ष गुरुकुल बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक स्वामी यज्ञमुनि व विधायक स्वामी यतीश्वरानंद ने बैठक कर अगली रणनीति बनाई। गुरुवार को महाविद्यालय परिसर में क्षेत्रपाल सिंह चैहान पक्ष के लोगों के धरने की अध्यक्षता राकेश चैहान ने की। कहा कि धरने का उद्देश्य महाविद्यालय सभा से निष्कासित विधायक स्वामी यतीश्वरानंद व उनके अनाधिकृत व्यक्तियों को परिसर से बाहर रखना है। क्षेत्रपाल सिंह चैहान ने कहा विधायक महाविद्यालय की भूमि खुर्द बुर्द करने का आरोप लगा रहे हैं। जो निराधार है। यशपाल सैनी, अजय सिंह चैहान नंबरदार ने कहा कि क्षेत्र में जन जागरण अभियान चलाया गया। धरने में डॉ. यशवंत सिंह चैहान, सतपाल सिंह, दिनेश चैहान, सुचित चैहान, डॉ. महेंद्र सैनी, मनोज चैहान आदि शामिल रहे। वहीं, दूसरी ओर गुरुकुल बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक स्वामी यज्ञमुनि की अध्यक्षता में दूसरे पक्ष ने बैठक की। इसमें दिल्ली के जंतर मंतर व देहरादून में आंदोलन करने की रणनीति पर विचार-विमर्श किया गया। हालांकि फिलहाल इस बारे में खुलासा करने से स्वामी यज्ञमुनि ने मना किया। कहा यह बात तय है कि दूसरे पक्ष के हर अनैतिक व नियम विरुद्ध कार्य का विरोध जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि बैठक में विधायक स्वामी यतीश्वरानंद, आर्य निमात्री सभा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. विजय पाल सिंह, मथुरा से आए स्वामी विश्वानंद, हाकिम सिंह, संदीप सहित आर्य समाज से जुड़े अन्य लोग शामिल रहे।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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