हरिद्वार। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि ध्यान पवित्र स्थान में ही करना चाहिए, क्योंकि स्थान विशेष से ध्यान का गहरा संबंध होता है। पवित्र स्थान में ध्यान करने से कम समय में अधिक अर्जन किया जा सकता है। डॉ. पण्ड्या देवसंस्कृति विवि के मृत्युजंय सभागार में आयोजित ध्यान की विशेष कक्षा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्थान विशेष में ध्यान करने से मन की एकाग्रता सधती है, स्थिरता आती है और मन को शांति मिलती है। ध्यान अर्जन एवं सृजन है, तो वहीं मन की अशांति को विसर्जन करती है। अपने आप को अच्छे विचारों से स्नान करना ध्यान है। ध्यान मानवीय चेतना को साफ करने का उत्तम आसन है। अंतदृष्टि का विकास ही ध्यान है। ध्यान से साधक का बोध गहरा होता है, जो उनको सफल बनाने में सहायक है। कुलाधिपति ने पवित्र स्थान में ध्यान करने के विविध लाभों की जानकारी दी। डॉ. पण्ड्या ने कहा कि हमारी अंतरात्मा को पवित्र बनाए रखने के लिए सतत प्रयत्नशील रहना चाहिए। ध्यान से जीवन स्रोत का ताजा जल प्राप्त कर सकते हैं, जो प्रत्येक साधक के लिए महत्त्वपूर्ण होता है। उच्च कोटि साधक इसी जल का सदैव पयपान करते हैं और कई कार्यों को बड़े ही सहज ढंग से पूर्ण कर लेते हैं। इस दौरान युवा चेतना के उद्घोषक कुलाधिपति डॉ. पण्ड्या ने विद्यार्थियों को शिवालयों व गोशाला जैसे पवित्र स्थानों में ध्यान करने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर गायकों ने ‘आदत बुरी सुधार लो, बस हो गया भजन... प्रज्ञागीत प्रस्तुत किया। इस मौके पर देसंविवि के कुलपति शरद पारधी, प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या, कुलसचिव बलदाऊ देवांगन सहित समस्त विभागाध्यक्ष, प्राध्यापकगण, छात्र-छात्राएं एवं शान्तिकुंज के अंतेवासी कार्यकर्ता मौजूद रहे।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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