हरिद्वार। मां मंशा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि भगवान शंकर के अवतार आद्य गुरू शंकराचार्य महाराज अद्वैत वेदान्त के संस्थापक और सनातन धर्म के प्रचारक थे। जिन्होंने जीवन पर्यन्त सनातन धर्म का प्रचार प्रसार कर हिन्दू धर्म को नवचेतना प्रदान की और संपूर्ण भारत का भ्रमण कर ज्ञान के माध्यम से समाज का मार्गदर्शन किया। संत समाज ऐसे महापुरूषों को नमन करता है। सन्यास परम्परा के सृजनकर्ता भगवान आद्य शंकराचार्य की जयंती तीर्थ नगरी हरिद्वार मे लाॅकडाउन के चलते शंकराचार्य चैक पर सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों के सानिध्य में प्रतिकारात्मक रूप से मनाई गई। आद्य शंकराचार्य स्मारक समिति के अध्यक्ष म.म.स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज ने कहा कि जगद्गुरू शंकराचार्य ने विभिन्न धाराओं में बंटे सनातन धर्म में एका स्थापित किया और अखाड़ों का निर्माण कर धर्म को भौतिक आक्रमण से सुरक्षित बनाया। आद्य शंकराचार्य स्मारक समिति के महामंत्री श्रीमहंत देवानंद सरस्वती महाराज वे स्वामी ललितानंद गिरी महाराज ने कहा कि जगद्गुरू शंकराचार्य ने चारों दिशाओं में चार मठ की स्थापना कर भारत का सांस्कृतिक सीमांकन किया। आधुनिक भारत सनातन धर्म यदि सुरक्षित है तो इसमें आद्य जगद्गुरू शंकराचार्य की अहम भूमिका है। इस दौरान म.म.स्वामी दिव्यानंद गिरी, श्रीमहंत रामरतन गिरी, महंत जसविन्दर सिंह, म.म.स्वामी जनकपुरी, म.म.स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती महाराज, स्वामी कमलानंद गिरी, महंत रूपेंद्र प्रकाश, स्वामी रविदेव शास्त्री, म.म.स्वामी कपिलमुनि, महंत दर्शन दास, महंत जयेंद्र मुनि, म.म.स्वामी अर्जुनपुरी की गरिमामय उपस्थिति में स्वामी विवेकानंद महाराज ने सोशल डिस्टेंश को कायम रखते हुए आद्य शंकराचार्य भगवान के श्रीविग्रह का षोडशोपचार, अभिषेक व पूजन कर आरती उतारी। प्रशासन के निर्देशों का पालन करते हुए संत समाज की ओर से इस वर्ष यह आयोजन प्रतिकारात्मक रूप से किया गया।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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