हरिद्वारः पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय आंदोलन की हरिद्वार शाखा की ओर से प्रदेशव्यापी आह्वान पर आंदोलन को फिर से धार देने के लिए कोरोना यौद्धाओं का सम्मान किया गया और साथ ही सरकार से पुरानी पेंशन बहाली की मांग की गई। इस दौरान मेला अस्पताल और रेलवे स्टेशन पर कोरोना यौद्धाओं जैसे डॉक्टर, अन्य स्वास्थ्य कर्मियों, सफाई कर्मचारियों, पुलिस कर्मियों को सम्मान स्वरूप होम्योपैथिक दवा आर्सेनिक एल्बम-30 व सेनेटाइजर, मास्क वितरित किए गए। मंगलवार को चले अभियान के दौरान शाखा के जिला अध्यक्ष रोहित कुमार शर्मा ने कहा कि संगठन से जुड़े कर्मचारियों की ओर से पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर सरकार का ध्यान इधर आकृष्ट करने के लिए यह कार्यक्रम चलाया गया है। कहा कि कोरोना यौद्धाओं के बल पर ही कोरोना से देश लड़ पा रहा है। इसलिए कोरोना यौद्धाओं का सम्मान सबसे पहले किया जाए। जिला मंत्री शेखर चंद्र जोशी ने कहा कि भारत के संविधान में सिर्फ सरकारी कर्मचारियों को ही पेंशन का प्रावधान है, जन-प्रतिनिधियों को नहीं। इसके बावजूद भारत के जनप्रतिनिधियों ने संविधान में मन-मुताबिक संशोधन करके जनप्रतिनिधियों के लिए भारी-भरकम पेंशन का इंतजाम कर लिया। नौकरशाहों को भी रिटायरमेंट के बाद विभिन्न पदों पर नियुक्त कर दिया जाता है, वहीं, कर्मचारियों को पेंशन देने के नाम पर सरकार हाथ खड़ा कर देती है, जो बड़ी दुर्भाग्य की बात है अन्यायपूर्ण है। कहा कि कोरोना आपदा में लगे असंख्य कर्मचारी ऐसे हैं, जो पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से मांग पूरी नहीं करने पर मजबूरी में इस तरह के कार्य करने पड़ रहे हैं। कहा कि लॉक डाउन समाप्त होने के बाद बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा। इस मौके पर विकास शर्मा, रविद्र रोड, मनोज नवानी, संत कुमार, प्रदीप राठी आदि मौजूद रहे।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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