78दिन बाद खुले तीर्थनगरी के मठ-मन्दिर,
हरिद्वार। लाॅकडाउन के दौरान बंद धार्मिक गतिविधियों को अनलाॅक एक में खोल दिया गया। करीब ढाई माह से बंद तीर्थनगरी में धार्मिक गतिविधियां सोमवार से शुरू हो गई। हालांकि पहले दिन हरकी पैड़ी और मंदिरों में कम संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। शाम को हरकी पैड़ी में सांध्यकालीन गंगा पूजन और आरती के साथ गंगा आरती की शुरुआत हुई। इससे पहले प्रतीकात्मक रूप से गंगा आरती की जा रही थी। श्री गंगा से बाहर की पैड़ी के सभापति कृष्ण कुमार ठेकेदार ,अध्यक्ष पंडित प्रदीप झा एवं महामंत्री तन्मय वशिष्ट ने कहा कि हर की पैड़ी में आज गंगा स्नान और आरती के दर्शन करने के लिए आम श्रद्धालु आ सकेंगे। पहले दिन सोमवार को कम संख्या में लोग गंगा स्नान किया। हर की पैड़ी पर गंगा सभा ने केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार सभी इंतजाम किए गए है। सोमवार को पूजा-अर्चना के साथ श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडेश्वर स्वामी अवधेशानंद ने सिद्धपीठ शक्तिपीठ मायादेवी में धार्मिक गतिविधियों की शुरुआत की। इसके साथ मंसा देवी, चंडीदेवी मंदिर, पारद महादेव, महामृत्युंजय मंदिर, मकरवाहिनी, सुरेश्वरी देवी, बिल्केश्वर मंदिर, दक्षेश्वर मंदिर और भारत माता मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए खुल गए। हालांकि इस दौरान कोरोना संक्रमण को लेकर पूरी तरह एहतियात बरती गई। तय गाइडलाइन के अनुसार ही श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर और हरकी पैड़ी क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति दी गई। जिलाधिकारी सी रविशंकर ने सोमवार सुबह दस बजे धार्मिक गतिविधियां शुरू करने की विधिवत अनुमति दी। सूर्योदय के समय हरकी पैड़ी पर होने वाली गंगा आरती में सार्वजनिक उपस्थिति की श्रद्धालुओं को अनुमति नहीं मिली। हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड सहित अन्य गंगा घाटों पर दस बजे के बाद तक स्नान व अन्य कर्मकांड नहीं करने दिया गया। जिला प्रशासन की अनुमति के बाद करीब 11 बजे इनकी अनुमति दी गई। बताया कि श्रद्धालुओं को मंदिर में तय गाइडलाइन का पालन करने के बाद प्रवेश की अनुमति दी जा रही है। बिना मास्क किसी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं है। हर मंदिर में सैनेटाइजेशन की पूरी व्यवस्था की गई है, साथ ही श्रद्धालुओं को भी अपने स्तर पर तय गाइडलाइन का पालन करते हुए मंदिर परिसर में आने की सलाह दी जा रही है।
हरिद्वारः श्रद्धालुओं को मंदिरों में घंटी बजाने, पुजारियों से तिलक लगवाने, प्रसाद पाने और देवी-देवताताओं की प्रतिमाओं को छूने की इजाजत नहीं दी गई है। श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रसाद लेकर जाने की भी मनाही है। मुख्य मंदिर में जाने की किसी को अनुमति नहीं दी गई है। श्रद्धालुओं को केवल मंदिर में दर्शन, पूजन और आरती में भाग लेने की अनुमति है। श्रद्धालुओं को मंदिर में ज्यादा समय तक रहने की भी मनाही है। मंदिर परिसर में बिना मास्क श्रद्धालुओ के प्रवेश पर रोक लगाई गई है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर सैनेटाइजेशन की व्यवस्था की गई है। मंसा देवी मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं को सैनेटाइज करने को टनल भी बनाई गई है। मंदिर परिसर में प्रवेश करने से पहले सभी को इससे होकर जाना अनिवार्य है, सभी को सलाह दी जा रही है कि वह अपने साथ बच्चों को लेकर न आएं। दूसरी ओर कनखल स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर के मुख्य पुजारी महन्त विश्वेश्वर पुरी महाराज ने कहा कि मंदिर के कपाट खोले जाने के समय और मंदिर में भक्तों के आने के समय सहित सभी नियमों का पालन किया जाएगा और लोगों को केवल गंगाजल चढ़ाने की अनुमति दी गई है।
पहले की तरह शर्तों संग होगा अस्थि विसर्जन
हरिद्वारः अस्थि विसर्जन को लेकर पूर्व में दी गई गाइडलाइन में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। अस्थि विसर्जन को बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को पहले की तरह ही निश्चित समय सीमा में अस्थि विसर्जन करने की अनुमति है। इसके निमित्त आने वालों को हरिद्वार में रुकने या अन्य जगहों पर जाने की अनुमति नहीं है। जिलाधिकारी सी. रविशंकर ने कहा है कि सरकारी आदेशों के मुताबिक तय गाइड लाइन के अनुसार हरिद्वार में सार्वजनिक धार्मिक गतिविधियों को जारी रखने की अनुमति दी गई है। सभी को तय गाइड लाइन का पालन करना अनिवार्य होगा, उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। प्रशासनिक मशीनरी को समय-समय पर इसका अनुपालन जांचने को औचक निरीक्षण के निर्देश दिए गए हैं। सभी से अपील है कि वह खुद भी गाइड लाइन का पालन करें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें।
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