हरिद्वार। प्रदेश व्यापार मण्डल के एक प्रतिनिधी मण्डल ने प्रदेश अध्यक्ष संजीव चैधरी के नेतृत्व मे सिटी मजिस्ट्रेट जगदीश लाल के माध्यम से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ज्ञापन प्रेषित कर कांवड मेला नहीं कराए जाने से व्यापारियों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए प्रत्येक व्यापारी को एक लाख रूपए की आर्थिक सहायता व मार्च से दिसम्बर तक के बिजली, पानी के बिल माफ करने की मांग की है। संजीव चैधरी ने कहा कि लाॅकडाउन चलते सालाना सीजन, चारधाम यात्रा ना होने के बाद अब कांवड यात्रा पर रोक लगाए जाने से व्यापारी बेहद आर्थिक दुश्वारियों का सामना कर रहे हैं। लाॅकडाउन खुलने के बाद भी यात्रीयों के नहीं आने से हरिद्वार के बाजार सूने पड़े हैं। जिससे व्यापारियों की हालत बेहद खराब हो गयी है। वर्तमान हालात में आय शून्य हो जाने से व्यापारी परिवार का खर्च चलाने में भी बेबस हैं। ऐसे मे सरकार ने जिस प्रकार किसानो, मजदूरों और बड़े व्यापारी घरानो की सीधे सहायता की है। उसी प्रकार मध्यम व छोटे व्यापारियों को सीधे एक एक लाख रूपए की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराए। जिला महामंत्री विशाल गर्ग ने कहा कि व्यापारी की हालत इस समय ऐसी हो गई है की ना वो भीख माँग सकता है ना बच्चो को भूखा देख सकता है। अभी आने वाले कुछ महीनो तक भी हरिद्वार मे यात्रियों के आने की कोई संभावना नही है। ऐसे में अब सरकार को आगे आ कर व्यापारियों की आर्थिक सहायता करनी चाहिए। महानगर अध्यक्ष मयंकमूर्ति भट्ट व महामंत्री सुमित अरोरा ने कहा कि सरकार ही व्यापारियों की आर्थिक सहायता कर उन्हें बर्बाद होने से बचा सकती है। शहर अध्यक्ष शिवालिंक नगर विभास सिन्हा व वरिष्ठ व्यापारी नेता राजन कौशिक ने कहा कि सरकार को तत्काल व्यापारियों की मदद के लिए आगे आना चाहिए।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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