हरिद्वार। श्री दक्षिण काली पीठीधीश्वर महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने श्रावण मास में मंदिर परिसर में भगवान शिव के निमित्त आयोजित विशेष अनुष्ठान के दौरान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर विश्व कल्याण की कामना करते हुए कहा कि ज्योति स्वरूप भगवान शिव सतधर्म, सतज्ञान प्रदान कर सताचरण की धारणाओं को ब्रह्म द्वारा स्थापित कर सृष्टि का संचालन करते हैं और श्रावण मास में अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं। जो श्रद्धालु भक्त भगवान शिव के श्रणागत हो जाता है। महादेव उसका बेड़ा पार लगाते हैं। उन्होंने कहा कि भांग, धतूरा, बेलपत्र आदि भगवान शिव को अति प्रिय हैं। विधानपूर्वक की गयी शिव उपासना से सहस्त्र गुणा पुण्य फल की प्राप्ति होती है। व्यक्ति के जन्म जन्मांतर के पापों का शमन होता है और उसका जीवन सदैव उन्नति की ओर अग्रसर रहता है। महादेव भगवान शिव की आराधना सदैव कल्याणकारी होती है। श्रावण माह भगवान शिव को प्रसन्न कर उनकी कृपा पात्र करने का सबसे बेहतर अवसर है। श्रावण में प्रतिदिन विधि विधान से भगवान शिव का पूजन व जलाभिषेक करने पर उनकी कृपा सदैव बनी रहती है। शिव कृपा से साधक के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है। उन्होंने कहा कि भगवान शिव अपने भक्तों पर सदैव कृपा बरसाते हैं। इस समय पूरा संसार कोरोना वायरस से पीड़ित है। संसार का कल्याण करने वाले भगवान शिव की कृपा से कोरोना का प्रकोप जल्द समाप्त होगा। भक्त की सूक्ष्म आराधना से ही भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि श्रावण मास में भक्तों को भगवान शिव का जलाभिषेक अवश्य करना चाहिए। इस दौरान आचार्य पवनदत्त मिश्र, पंडित प्रमोद पाण्डे, स्वामी विवेकानंद ब्र्हम्मचारी, बालमुकुंदानंद ब्रह्मचारी, अंकुश शुक्ला, सागर ओझा, अनूप भारद्वाज, पंडित शिवकुमार शर्मा आदि मौजूद रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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