हरिद्वार। जिलाधिकारी सी0 रविशंकर ने बताया कि उत्तराखण्ड शासन द्वारा जनपद में ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन एवं परिसीमन के सम्बन्ध में प्राप्त निर्देशानुसार ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन एवं परिसीमन हेतु वर्ष 2011 की जनसंख्या के आधार पर किए जाने के निर्देश दिये गये हैं तथा ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन हेतु यथासाध्य 1000 से 5000 की जनसंख्या का मानक निर्धारित किया गया है, जिसके लिए समय सारणी निर्धारित की गयी है। 01.सितॅम्बर को राजस्व ग्रामों की सूची प्राप्त करना, 02 से 12.सितम्बर तक पुनर्गठन प्रस्ताव प्राप्त करना, 14.से 19 सितम्बर तक प्रस्तावित पुनर्गठन प्रस्तावों का परीक्षण एवं सूची तैयार करना, 21 सितम्बर .2020 को पुनर्गठन प्रस्तावों का प्रकाशन, 22.से 24. सितम्बर तक पुनर्गठन प्रस्तावों पर आपत्तियों आमंत्रित करना, 25.से 30. सितम्बर तक प्राप्त आपत्तियों का निस्तारण करना, 01.अक्टूबर को अन्तिम प्रस्तावों का प्रकाशन किया जाएगा, 03.अक्टूबर को अन्तिम प्रस्तावों को निदेशालय को भेजा जाएगा। 07.से 12. अक्टूबर तक नवगठित एवं उससे प्रभावित अन्य ग्राम पंचायतों के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन प्रस्ताव तैयार किये जाएंगे, 13. अक्टूबर को प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों की सूची का प्रकाशन, 14.से 16. अक्टूबर तक प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों के प्रस्तावों पर आपत्तियाँ आमंत्रित की जाएंगी तत्पश्चात् दिनांक 17.से 23. अक्टूबर तक आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा, 26. अक्टूबर को परिसीमन प्रस्तावों का अन्तिम प्रकाशन तथा अक्टूबर को प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों की सूचियाँ निदेशालय को उपलब्ध करायी जाएंगी। ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन हेतु किसी राजस्व ग्राय या उसके मजरे को विभाजित नहीं किया जाएगा तथा पुनर्गठन की कार्यवाही में यह भी ध्यान रखा जाएगा कि भौगौलिक दृष्टि से एक-दूसरे के निकटस्थ ऐसे राजस्व ग्रामों/मजरों के बीच में कोई नदी, नाला पहाड़ या अन्य कोई अवरोध आदि उनके बीच आवागमन में बाधक न हो। ऐसी ग्राम पंचायतांे को पुनर्गठित करते हुए सम्बन्धित खण्ड विकास अधिकारी को यह प्रमाण पत्र देना होगा कि उक्त राजस्व ग्राम की भौगोलिक परिस्थिति (प्राकृतिक नदी या नाला पहाड़) के कारण ग्राम पंचायत का गठन होना आवश्यक है साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि इनके मध्य किसी दूसरी ग्राम पंचायत का कोई प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र न पड़ता हो। पुनर्गठन उपरांत ग्राम पंचायत का नाम सबसे अधिक आबादी वाले राजस्व ग्राम या मजरे के नाम से रखा जाएगा। उक्त समय सारणी के अनुसार कार्यवाही तथा प्राप्त आपत्तियों पर सम्यक विचारोपरान्त समिति के माध्यम से आपत्ति का निस्तारण किया जाएगा। समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी एवं अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत, सदस्य तथा जिला पंचायतराज अधिकारी सदस्य एवं सचिव होंगे। ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन एवं प्रस्ताव से सम्बन्धित आपत्तियां जिलाधिकारी कार्यालय, मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय, जिला पंचायतराज अधिकारी कार्यालय एवं सम्बन्धित विकासखण्ड कार्यालय में लिखित रूप में प्रस्तुत की जा सकती हैं।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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